श्रीसूर्य प्रातः स्मरण स्तोत्रम्
Shri Surya Pratah-Smaran Stotram
श्रीसूर्य प्रातः स्मरण स्तोत्रम् हिंदी पाठ
Shri Surya Pratah-Smaran Stotram in Hindi
प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं
रूपं हि मण्डलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि ।
सामानि यस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं
ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम् ॥ १ ॥
प्रातर्नमामि तरणिं तनुवाङ्मनोभि-
-र्ब्रह्मेन्द्रपूर्वकसुरैर्नतमर्चितं च ।
वृष्टिप्रमोचनविनिग्रहहेतुभूतं
त्रैलोक्यपालनपरं त्रिगुणात्मकं च ॥ २ ॥
प्रातर्भजामि सवितारमनन्तशक्तिं
पापौघशत्रुभयरोगहरं परं च ।
तं सर्वलोककलनात्मककालमूर्तिं
गोकण्ठबन्धनविमोचनमादिदेवम् ॥ ३ ॥
श्लोकत्रयमिदं भानोः प्रातः प्रातः पठेत्तु यः ।
स सर्वव्याधिनिर्मुक्तः परं सुखमवाप्नुयात् ॥ ४ ॥
॥ इति श्री सूर्य प्रातः स्मरण स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥
Shri Surya Pratah-Smaran Stotram Lyrics
श्रीसूर्य प्रातः स्मरण स्तोत्रम् पाठ
Pratah smarami Khalu thath savithur varenyam,
Roopam hi mandala mruchodha thanur yajjomshi,
Samaani yasya kirana prabhavadhi hethum,
Brahmaa harathma kamalakshya machinthya roopam ॥ 1 ॥
Pratnamami tharinam thanuvag manobhi,
Brahmendra poorvaka surairnatha marchitham cha,
Vrushti promachana vinigraha hethu bhootham,
Trilokya palana param, trigunathmakam cha ॥ 2 ॥
Pratarbhajami savithara manantha shakthim,
Papougha shathru bhaya roga haram param cha,
Tham sarva loka kalanathmaka kala moorthim,
Go khanda bandhana vimochanamadhi devam ॥ 3 ॥
Slokathrayamidham Bhano Pratha kale padethu ya,
Sa sarva vyadhi nirmuktha prama sukhamavapnuyath ॥ 4 ॥
॥ iti shri surya pratah smaran stotram sampurnam ॥
श्रीसूर्य प्रातः स्मरण स्तोत्रम् विशेषताए:
श्रीसूर्य प्रातः स्मरण स्तोत्रम् के साथ-साथ यदि सूर्ये आरती या सूर्ये कवच का पाठ किया जाए तो, इस स्तोत्र का बहुत लाभ मिलता है, यह स्तोत्र शीघ्र ही फल देने लग जाते है| यदि साधक इस स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन करने से बुराइया खुद- ब- खुद दूर होने लग जाती है साथ ही सकरात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है| अपने परिवार जनों का स्वस्थ्य ठीक रहता है और लम्बे समय से बीमार व्यक्ति को इस स्तोत्र का पाठ सच्चे मन से करने पर रोग मुक्त हो जाता है| यदि मनुष्य जीवन की सभी प्रकार के भय, डर से मुक्ति चाहता है तो वह इस स्तोत्र का पाठ करे|
इस स्तोत्रम् के पाठ के साथ साथ सूर्ये चालीसा और सूर्ये अष्टकम का भी पाठ करने से मनोवांछित कामना पूर्ण होती है| और नियमित रुप से करने से रुके हुए कार्य भी पूर्ण होने लगते है | और साधक के जीवन में रोग, भय, दोष, शोक, बुराइया, डर दूर हो जाते है साथ ही सूर्य देव की पूजा करने से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि प्राप्त होती है। याद रखे इस श्रीसूर्य प्रातः स्मरण स्तोत्रम् पाठ को करने से पूर्व अपना पवित्रता बनाये रखे| इससे मनुष्य को जीवन में बहुत अधिक लाभ प्राप्त होता है|