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Chandra Grahan 2019

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Chandra Grahan 2019 | चन्द्र ग्रहण 2019

On Monday, 21st January Chandra Grahan 2019/चन्द्र ग्रहण 2019 will be visible in Kazakhstan, Uzbekistan, Afghanistan, Iran, Iraq, Arab, Turkey, Yemen, Oman, Turkmenistan, Sudan, Alaska, Africa, North and South America, Canada, Europe, Ukraine and Greenland. The time span of this Lunar eclipse will be as under:-

  • Touch (Start of the Eclipse) 9 hours 4 minutes
  • Complete eclipse starts 10 hours 11 minutes
  • Center of the eclipse 10 hours 42 minutes
  • End of complete eclipse 11 hours 13 minutes
  • Chandra Grahan 2019 ends 12 hours 21 minutes

Note: The above Chandra Grahan 2019 will not be visible anywhere in India.

Chandra Grahan 2019 on 16/17 July:

This eclipse will appear on 16/17 July, 2019 AD Midnight on Ashadh-Purnima, on Tuesday, in the form of Partial Eclipse (Khandargas) throughout India, from touch to salvation.

  • Chandra Grahan 2019 Starts- 01 hrs 32 min.
  • Mid Eclipse- 27 hrs  01 min (I.S.T)
  • Eclipse Ends- 28 hrs. 31 min.
  • Eclipse Period- 02 hrs. 59 min.
  • Main Chandra Grahan 2019- 0.658

This eclipse will be seen everywhere in India from the beginning to salvation (exhaustion), this will also be seen in Australia, New Zealand, Malaysia, Taiwan, Japan, China, Indonesia, Pakistan, Afghanistan, Mongolia, Iran, Kazakhstan, South and North Africa, U.K. and South America.

Abrogation of Chandra Grahan 2019 of lunar eclipse:

The euphoria of this Chandra Grahan 2019 is will start from 16h July, 2019 AD at 16hrs 32 min (I.S.T.).

Effects of Chandra Grahan 2019 on Zodiac:

This partial lunar eclipse will start in the constellation of Usha in Sagittarius, and ends at Capricorn during Usha constellation. It is clear that this partial lunar eclipse of July 16/17 will be troublesome for the persons holding the Zodiac signs Sagittarius and Capricorn.

Days Result of Chandra Grahan 2019:

This Chandra Grahan 2019 is important for Sagittarius and Capricorn holding people for bathing, donation, grappling with touching as it is occurring on Tuesday. Chanting Mantras, Donation-Pooja etc. are specially performed at this time- Eclipse during Usha constellation causes the high rainfall; cereals available in sufficient quantities; coconut, rice, oilseeds, ghee, lentil etc. pulses become expensive.

According to the Brtihad Sanhita’, the result of eclipse being in the Sagittarius is as follows: Eclipse of Sagittarius had painful effects on the Head men, ministers, horses, people from Mithila, wrestlers, doctors, business class and scholars of scriptures.

Month effect of Chandra Grahan 2019:

Because this lunar eclipse will occur in the ascending full moon (Ashadh Month), therefore, according to the ‘Brihad Sanhita’, there is the possibility of destruction of the source of waterfalls and the demolition of the river basins or the dams etc., can cause a crisis of drinking water. Floods can damage  the rivers. Fruits and vegetables – sellers are harmed.

Whether there will be Chandra Grahan 2019 or not?

If at the end of the full moon day the deviation of Sun and Rahu is below 13 degree. Then there is a chance of Lunar eclipse. If the deviation is below 9 degree then the eclipse will be assured. If the deviation is between 9 and 13 then the it can be measured by the mathmatical calculations.

Chandra Grahan 2019 will be visible or not?

Where full moon is ending two hours before sunset, there is a possibility of lunar eclipse to end before rising of moon. Where full moon is ending two hours after the sunrise, there is a possibility of moonset even before the lunar eclipse begins. In these situations, ‘Chandrabh Mela will appear on that place’ or not, its decision can only be made after the mathematical calculation of lunar eclipse.

On the day of Lunar eclipse the rising and setting time of moon:

On the lunar eclipse day when lunar eclipse occurs, calculate the difference of the time of Sunrise and mid period of eclipse and divide the remainder by 30. If sunrise eclipse is more than the mid period, then adding the minutes of the benefit to the sunrise, or otherwise decreasing the local moon setting period. There is no more than two minutes of inaccuracy in the Chandrodaya period from this above method.

Why is the Chandra Grahan 2019?

An eclipse takes place when one heavenly body such as a moon or planet moves into the shadow of another heavenly body. There are two types of eclipses on Earth: an eclipse of the moon and an eclipse of the sun. A total solar eclipse is a cosmic coincidence with stunning visual effects for viewers on Earth. When the moon passes in front of the sun and blocks it completely. It casts a shadow onto our planet that plunges areas into a darkness that feels like night time in mid-day. What causes this extraordinary phenomenon?

Several things need to occur at once to create a total solar eclipse. First, the moon needs to be exactly the right size to block the sun. Next, the sun, moon, and Earth need to line up in a straight line, or nearly so, with the moon between the sun and Earth. Finally, to see the full eclipse, you need to be standing in the correct spot on Earth Read more

चन्द्र ग्रहण 2019 | Chandra Grahan 2019

यह ग्रहण 21 जनवरी, सन् 2019 को कजाकिस्तान, उजबेकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, ईराक, अरब, टर्की, यमन, ओम्मान, तुर्कमेनिस्तान, सूडान, अफ्रीका, अलास्का, उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका, कनाड़ा, यूरोप, युक्रेन, ग्रीनलैण्ड आदि में दिखाई देगा

इस ग्रहण के स्पर्श आदि का समय भा.स्टै.टा. के अनुसार इस प्रकार होगा –

  • स्पर्श (ग्रहण-प्रारम्भ) 09 घं. 4 मि.
  • खग्रास-प्रारम्भ           10 घं. 11 मि.
  • ग्रहणमध्य                  10 घं. 42 मि
  • खग्रास समाप्त          11 घं. 13 मि.
  • मोक्ष (ग्रहण समाप्त)  12 घं. 21 मि.

ध्यान दें – उल्लिखित चारों ग्रहण भारत में कहीं भी दिखाई नहीं देंगे

खण्डग्रास चन्द्रग्रहण 16/17 जुलाई, सन् 2019:

यह ग्रहण मध्य रात्रि 16/17 जुलाई, सन् 2019 ई. को आषाढ़-पूर्णिमा, मंगलवार के दिन सम्पूर्ण भारत में खण्डग्रास के रूप में स्पर्श से मोक्ष तक दिखाई देगा।

  • ग्रहण-प्रारम्भ 01 घं. 32 मि.
  • ग्रहण-मध्य 27 घं. 1 मि.  (भा.स्टैं.टा.)
  • ग्रहण समाप्त 28 घं. 31 मि. (16 जुलाई, 2019 ई.)
  • ग्रहण का पर्वकाल 2 घं. 59 मि.
  • परमग्रास 658

यह चन्द्र ग्रहण 2019 भारत में तो सर्वत्र स्पर्श (प्रारम्भ) से मोक्ष (समाप्ति) तक दिखेगा ही, यह आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, मलेशिया, ताईवान, जापान, चीन, इन्डोनेशिया, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, मंगोलिया, ईरान, कजाकिस्तान, द.उ. अफ्रीका, यू.के. एवं द. अमेरिका आदि देशों में भी दिखाई देगा।

खण्डग्रास चन्द्रग्रहण का सूतक:

इस ग्रहण का सूतक 16 जुलाई, सन् 2019 ई. को 16 घं. 32 मि. (I.S.T.) पर प्रारम्भ होगा। यह खण्डग्रास चन्द्रग्रहण धनु राशिस्थ उ.षा. नक्षत्र में प्रारम्भ होकर मकर राशिस्थ उ.षा. नक्षत्र में पूर्ण होगा। स्पष्ट है कि 16/17 जुलाई वाला यह खण्डग्रास चन्द्रग्रहण उ.षा. नक्षत्र धनु एवं मकर राशि वाले व्यक्तियों के लिए विशेष कष्टप्रद है।

चन्द्रग्रहण का वारफल:

यह ग्रहण धनु एवं मकर राशि को स्पर्श करने से एवं मंगलवार वाले दिन घटित होने से स्नान, दान, जपादि के लिए विशेष महत्वपूर्ण है। मन्त्रजाप, दान-पूजा आदि इस समय विशेष फलप्रद लिखे हैं- “बहुफलं जपदान-हुतादिके स्मृति-पुराणविद: प्रवदन्ति हि” उ.षा. नक्षत्र में ग्रहण होने से वर्षा अधिक हो, अनाज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हों, नारियल, चावल, तिलहन, घी, उड़द आदि दालें महंगी हों। ‘बृहत् संहिता’ के अनुसार धनु राशि में ग्रहण होने से फल इस प्रकार है, प्रधान पुरुष, मंत्रिगण, घोड़े, मिथिला देशवासियों, पहलवानों, चिकित्सकों, व्यापारी वर्ग एवं शास्त्रों की जानकारी वाले क्रूर लोगों के लिए धनु राशि का ग्रहण कष्टप्रद है-

चन्द्र ग्रहण 2019 मासफल:

क्योंकि यह चन्द्रग्रहण आषाढ़ी पूर्णिमा (आषाढ़ मास) में घटित होगा। अत: ‘बृहत् संहिता’ के अनुसार जलप्रपातों के स्त्रोत एवं नदी-नालों के सीमातिक्रमण किंवा पानी की बांध आदि के टूटने से विनाश होने की सम्भावना है, कही-कही तो पिने के पानी का संकट का पैदा हो सकता है। नदियों में बाढ़ से हानि हो। फल एवं सब्जी विक्रेताओं को हानि हो।

चन्द्र ग्रहण 2019 होगा या नहीं?

यदि पूर्णिमान्त के समय सूर्य का राहु या केतु से अंतर 13 अंश से कम हो तो चन्द्रग्रहण होने की सम्भावना रहती है। यदि यह अन्तर 9 अंश से कम हो तो चन्द्रग्रहण निश्चित रूप से होता ही है। यदि यह अन्तर 13 अंश से कम और 9 अंश से अधिक हो तो ‘चन्द्रग्रहण होगा या नहीं’- इसका निर्णय चन्द्रग्रहणगणित करने पर ही हो पाता है।

चन्द्र ग्रहण 2019 दिखाई पड़ेगा या नहीं?

जहां पूर्णिमा सूर्यास्त से दो घंटा पहले समाप्त हो रही हो, वहां चन्द्रोदय से पहले ही चन्द्रग्रहण खत्म होने की सम्भावना रहती है। जहां पूर्णिमा सूर्योदय के दो घंटा बाद समाप्त हो रही हो, वहां चन्द्रग्रहण शुरू होने से पहले ही चंद्रास्त हो जाने की सम्भावना रहती है। इन स्थितियों में ‘उस स्थान पर चन्द्रग्रहण दिखाई पड़ेगा या नहीं’-इसका निर्णय चन्द्रग्रहण की गणित करने पर ही हो पाता है।

चन्द्रग्रहण के दिन चन्द्र का उदयास्त-काल:

जिस दिन चन्द्रग्रहण ग्रस्तास्त हो, उस दिन के स्थानीय सूर्योदयकाल का ग्रहणमध्य-काल से अंतर करके शेष को 30 से भाग दें। यदि सूर्योदयकाल ग्रहण मध्य काल से अधिक हो तो लब्धि के मिनटों को सूर्योदयकाल में जोड़ने, अन्यथा घटाने पर स्थानीय चंद्रास्त-काल प्राप्त होगा। इस उपरोक्त पद्धति से प्राप्त चन्द्रोदयास्तकाल में सामान्यत: दो मिनट से अधिक अशुद्धि नहीं होती।

Surya Grahan 2019

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