पर्जन्य सूक्तं
Parjanya Suktam
पर्जन्य सूक्तं (Parjanya Suktam)
आपो यं वः प्रथमं देवयन्त इन्द्रानमूर्मिमकृण्वतेळः ॥
तं वो वयं शुचिमरिप्रमद्य घृतेप्रुषं मधुमन्तं वनेम ॥
अर्थ- हे जलदेव! देवत्व के इच्छुकों के द्वारा इन्द्रदेव के पीने के लिए भूमि पर प्रवाहित शुद्ध जल को मिलाकर सोमरस बनाया गया है। शुद्ध पापरहित, मधुर रसयुक्त सोम का हम भी पान करेंगे।
तमूर्मिमापो मधुमत्तमं वोSपां नपादवत्वा शुहेमा ॥
यस्मिन्निन्द्रो वसुभिर्मादयाते तमश्याम देवयन्तो वो अद्य ॥
अर्थ- हे जलदेवता! आपका मधुर प्रवाह सोमरस में मिला है। उसे शीघ्रगामी अग्निदेव सुरक्षित रखें। उसी सोम के पान से वसुओं के साथ इन्द्रदेव मत्त होते हैं। हम देवत्त्व की इच्छावाले आज उसे प्राप्त करेंगे।
शतपवित्राः स्वधया मदन्तीर्देवीर्देवानामपि यन्ति पाथः ॥
ता इन्द्रस्य न मिनन्तिं व्रतानि सिन्धुभ्यो हण्यं घृतवज्जुहोत ॥
अर्थ- ये जलदेवता हर प्रकार से पवित्र करके तृप्ति सहित प्राणियों में प्रसन्नता भरते हैं। वे जलदेव यज्ञ में पधारते हैं, परन्तु विघ्न नहीं डालते। इसलिए नदियों के निरंतर प्रवाह के लिए यज्ञ करते रहें।
याः सूर्यो रश्मिभिराततान याम्य इन्द्री अरदद् गातुभूर्मिम् ॥
तो सिन्धवो वरिवो धातना नो यूयं पात स्वस्तिभिः सदा नः ॥
अर्थ- जिस जल को सूर्यदेव अपनी रश्मियों के द्वारा बढ़ाते हैं एवं इन्द्रदेव के द्वारा जिन्हें प्रवाहित होने का मार्ग दिया गया है, हे सिन्धो (जल प्रवाहों)! आप उन जलधाराओं से हमें धन-धान्य से परिपूर्ण करें तथा कल्याणप्रद साधनों से हमारी रक्षा करें।
पर्जन्य सूक्तं विशेषताए:
पर्जन्य सूक्तं का पाठ किया जाए तो, इस सूक्तं का बहुत लाभ मिलता है, यह सूक्तं शीघ्र ही फल देने लग जाते है। यदि साधक इस सूक्तं का पाठ प्रतिदिन करने से बुराइया खुद- ब- खुद दूर होने लग जाती है साथ ही सकरात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। अपने परिवार जनों का स्वस्थ्य ठीक रहता है और लम्बे समय से बीमार व्यक्ति को इस सूक्तं का पाठ सच्चे मन से करने पर रोग मुक्त हो जाता है। यदि मनुष्य जीवन की सभी प्रकार के भय, डर से मुक्ति चाहता है तो वह इस सूक्तं का पाठ करे।