Nakshtra Vichar Book/नक्षत्र विचार पुस्तक
Nakshatra Vichar (नक्षत्र विचार पुस्तक) is an important book, Nakshtra Vichar Book is not easily available, this book is written by Prasha Trivedi Ji, this Nakshtra Vichar Book is published by Alpha Publications, Delhi, in 2017, this book contains 363 pages.
Nakshtra Vichar Book Content list:
According to the content list of the Nakshtra Vichar Book, it is containing the following matters in a simple language for the convenience of the readers to understand easily. The matters are Ashwini, Bharani, Kritika, Rohini, Mrigashira, Ardra, Punarvasu, Pushya, Ashlesha, Magha, Purvaphalguni, Uttara Phalguni, Hasta, Chitra, Swati, Visakha, Anuradha, Jyestha, Moola, Purvashaadh, Uttarashah, Abhijit, Shravan, Dhanishna, Shatabhi, Purvabhadrapada, Uttarabhadrapada, Revathi, example kundalis, Nakshatra swami and bheda, Nakshatra classification, Nakshatra Upanakshatra perception table, Ashtadik planetary direction, Nakshatra direction ideas , Tara Chakra is explained in detail, which is an important part of the Nakshtra Vichar Book.
Nakshtra Vichar Book Benefits:
- Reading the Nakshtra Vichar Book provides information about important topics of Nakshatras.
- You can understand the importance of Nakshatra by reading Nakshtra Vichar Book.
- You can get to know the happenings in your life from the Nakshtra Vichar Book.
Nakshtra Vichar Book Description:
On the passage of a constellation, ‘Naksha’ means the sky and ‘Kshetra’ or the map of the sky, such a meaning is considered as Nakshatra. According to them, the map of celestial stars is a constellation. Just as the letter which is not degraded by the mantra, similarly the constellation, which is not destroyed, is considered such a light. Whatever may be the case, we have to appreciate the vision and knowledge of the ancient sages. Who made the complicated calculation of planetary positions simple and accurate by dividing the star cluster of the sky system into constellations.- Nakshtra Vichar Pushtak.
Without the constellations it is impossible to know the motion of the planets. The importance that the eyes receive in the human body, the same importance has been given to the constellations in astrology. In other words, if astrology is the eye of the Veda, then it would not be inappropriate to call the constellation the eyes of astrology. If you think seriously, you will find that the life journey starting from birth till death passes through these constellations. These constellations represent important stages of life.- Nakshtra Vichar Pushtak.
नक्षत्र विचार पुस्तक/Nakshtra Vichar Book
नक्षत्र विचार एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, नक्षत्र विचार पुस्तक आसानी से उपलब्ध नहीं होती, यह पुस्तक प्राश त्रिवेदी जी के द्वारा लिखी हुई है, इस नक्षत्र विचार पुस्तक को एल्फा पब्लिकेशन, दिल्ली, ने सन् 2017 में प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 363 पृष्ठ(पेज) है।
नक्षत्र विचार पुस्तक/Nakshtra Vichar Book की विषय सूचि:
नक्षत्र विचार पुस्तक में विषय सूचि अनुसार- अश्विनी, भरणी, क्रतिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ, उत्तराषाढ, अभिजित, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तरभाद्रपद, रेवती, उदाहरण कुंडलियाँ, नक्षत्र स्वामी और भेद, नक्षत्र वर्गीकरण, नक्षत्र उपनक्षत्र बोधक तालिका, अष्टादिक ग्रह दिशा, नक्षत्र दिशा विचार, तारा चक्र के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि नक्षत्र विचार पुस्तक के महत्वपूर्ण अंग है।
नक्षत्र विचार पुस्तक/Nakshtra Vichar Book के लाभ:
- नक्षत्र विचार पुस्तक को पढ़ने से नक्षत्रों के महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी मिलती है।
- नक्षत्र विचार पुस्तक को पढ़कर आप नक्षत्र के महत्व को समझ सकते है।
- नक्षत्र विचार पुस्तक से आप अपने जीवन में होने वाली घटनाओं को जान सकते है।
नक्षत्र विचार पुस्तक का/Nakshtra Vichar Book विवरण:
नक्षत्र का पद्च्छेद करने पर ‘नक्ष’ अर्थात आकाश व ‘क्षेत्र’ अथवा आकाश का मानचित्र ऐसा अर्थ होता है नक्षत्र विचार कुछ विद्वान इसे नक्ष+तारा = नक्षत्र मानते है। उनके मतानुसार आकाशीय ताराओं का मानचित्र नक्षत्र है। मतान्तर से जिस प्रकार अक्षर जो क्षरित नहीं होता, ठीक उसी प्रकार नक्षत्र भी, जो नष्ट न हो, ऐसी ज्योति मानी जाती है। बात कुछ भी हो हमें प्राचीन ऋषियों की दूर दृष्टि व ज्ञान की सराहना करनी होगी। जिन्होंने आकाश मण्डल के तारा समूह को नक्षत्रों में बाँट कर, ग्रह स्थिति की जटिल गणना को सरल व सटीक बनाया।
नक्षत्रों के बिना ग्रहों की गति जानना असम्भव है। जो महत्व मानव देह में नेत्रों को प्राप्त है वही महत्व ज्योतिष में नक्षत्रों को मिला है। अन्य शब्दों में यदि ज्योतिष वेद का नेत्र है, तो नक्षत्र को ज्योतिष की आँखें कहना अनुचित नहीं होगा। तनिक गम्भीरता से सोचें तो पाएंगे कि जन्म से आरम्भ होने वाली जीवन यात्रा जो मृत्यु तक चलती है, इन नक्षत्रों से होकर ही गुजरती है। ये नक्षत्र जीवन के महत्वपूर्ण पड़ावों को दर्शाते है।
Nakshtra Vichar Book Details:
Book Publisher: Alpha Prakashan
Book Author: Prash Trivedi
Language: Hindi
Weight: 0.458 gm Approx.
Pages: 363 Pages
Size: “21.5” x “14” x “2” cm
Edition: 2017
Shipping: Within 4-5 Days in India
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Kabir –
Very useful for me.. thanks a lot.