Hanuman Suktam, हनुमान सूक्तं

हनुमान सूक्तं/Hanuman Suktam

हनुमान सूक्तं/Hanuman Suktam

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।

वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये।।

अर्थ- जिनकी मन की गति और हवा की गति, जो बुद्धिमान और विवेकपूर्ण के बीच अधिक है, मैं हवा के पुत्र श्री राम दत्त वानरों के सिर में शरण लेता हूं। इस कलि योग में हनुमान जी की भक्ति से बढ़कर भक्ति में कोई शक्ति नहीं है। राम रक्षा स्तोत्र से लिए गए हनुमान जी की शरण में जाने के लिए इस श्लोक या मंत्र का पाठ करने से हनुमान जी तुरंत साधक की विनती सुन लेते हैं और उन्हें अपनी शरण में ले लेते हैं। जो लोग प्रतिदिन हनुमान जी का ध्यान करते हैं, हनुमान जी उनकी बुद्धि से क्रोध को दूर करते हैं और शक्ति बढ़ाते हैं।- हनुमान सूक्तं

पवनतनय संकट हरन,मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित,हृदय बसहु सुर भूप।।

अर्थ- हे संकटमोचक पवन कुमार! आप खुशी के अवतार हैं। हाय भगवान्! आप श्रीराम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास करते हैं।

निश्चय प्रेम प्रतीतिहिं ते, विनय करे सह मान।

तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।

अर्थ- जो कोई भी राम भक्त श्री बजरंग बली हनुमान के सामने संकल्प लेता है और उनसे पूरी भक्ति और प्रेम से प्रार्थना करता है, श्री हनुमान उनके सभी कार्यों को आशीर्वाद देते हैं।- हनुमान सूक्तं

श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।

बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।

अर्थ- श्री गुरु महाराज के चरणकमलों की धूल से अपने मन के दर्पण को शुद्ध करके, मैं श्री रघुवीर की शुद्ध महिमा का वर्णन करता हूं, जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के चार फलों के दाता हैं।-हनुमान सूक्तं

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार।

बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।।

अर्थ- अरे पवन कुमार! में तुम्हें सलाम करता हुँ। तुम जानते हो कि मेरा शरीर और बुद्धि कमजोर है। मुझे शारीरिक बल, बुद्धि और ज्ञान दो और मेरे दुखों और दोषों का नाश करो।- हनुमान सूक्तं

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

अर्थ- श्री हनुमान! आपकी जय हो। ज्ञान और गुण अतुलनीय हैं। हेकेश्वर! आपकी जय हो! स्वर्ग की दुनिया, स्वर्ग की दुनिया, झूठे और दुनिया में आपकी प्रसिद्धि है।- Hanuman Suktam

राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनी पुत्र पवन सुत नामा।।

अर्थ- हे पवनसुत अंजनी नंदन! आप जैसा मजबूत कोई दूसरा नहीं है।

कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुंचित केसा।।

अर्थ- तुम सुनहरे रंग, कान के छल्ले और सुंदर कपड़े, घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।- Hanuman Suktam

हाथबज्र और ध्वजा विराजे, कांधे मूंज जनेऊ साजै।।

अर्थ- आपके हाथ में वज्र और झंडा है और आपके कंधे पर मूंज के धागे की शोभा है।

शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन।।

अर्थ- शंकर के अवतार! केसरी नंदन के अवतार,और महान प्रसिद्धि, आपके पराक्रम की दुनिया भर में पूजा होती है।

विद्यावान गुणी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर।।

अर्थ-: आप ज्ञान के धनी, गुणी और कार्य में अत्यधिक कुशल हैं, आप श्रीराम का कार्य करने के लिए उत्सुक हैं।- Hanuman Suktam

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया।।

अर्थ- श्री राम चरित को सुनकर आपको आनंद आता है। आपके हृदय में श्री राम, सीता और लखन का वास है।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

अर्थ-: आपने सीता जी को अपने बहुत छोटे रूप में दिखाया और लंका को भयंकर रूप में जला दिया।- Hanuman Suktam

भीम रूप धरि असुर संहारे, रामचन्द्र के काज संवारे।।

अर्थ- आपने दुर्जेय रूप धारण कर राक्षसों का संहार किया और श्री रामचंद्र जी के उद्देश्यों को सफल बनाया।

लाय सजीवन लखन जियाये, श्री रघुवीर हरषि उर लाये।।

अर्थ- आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को पुनर्जीवित किया, जिससे श्री रघुवीर प्रसन्न हुए और आपको अपने हृदय में धारण कर लिया।

रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरत सम भाई।।

अर्थ- श्री रामचन्द्र जी ने तुम्हारी बहुत प्रशंसा की और कहा कि तुम भरत के समान मेरे प्रिय भाई हो।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।

अर्थ- श्री राम ने आपको यह कहकर गले लगा लिया कि आपकी कीर्ति हजार मुखों से प्रशंसनीय है।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद, सारद सहित अहीसा।।

अर्थ- श्री संक, श्री सनातन, श्री संतान, श्री संत कुमार आदि मणि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शीश नाग जी सभी आपका गुणगान करते हैं।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते, कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।

अर्थ- यमराज, कुबेर, सभी दिशाओं के रक्षक, कवि, विद्वान, पंडित या कोई और आपकी प्रसिद्धि का पूरी तरह से वर्णन नहीं कर सकता।

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राजपद दीन्हा।।

अर्थ- आपने श्रीराम से जुड़कर सुग्रीव जी पर उपकार किया, जिससे वे राजा बने।

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना।।

अर्थ- विभीषण जी ने आपकी आज्ञा का पालन किया ताकि वे लंका के राजा बने, यह बात पूरी दुनिया जानती है।

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

अर्थ- सूर्य जो इतनी दूरी पर है कि उस तक पहुंचने में एक हजार युग लगते हैं। आपने दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को मीठा फल समझकर निगल लिया।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि, जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

अर्थ- श्रीरामचन्द्र जी की अँगूठी मुँह में रखकर तुमने सागर पार किया है, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है।

दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

अर्थ- संसार में जो भी कठिन कार्य होते हैं वे आपकी कृपा से सहज हो जाते हैं।

राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसा रे।।

अर्थ- आप श्री रामचंद्र जी के द्वार के रखवाले हैं, जिसमें आपकी अनुमति के बिना किसी को प्रवेश नहीं मिलता है, अर्थात आपके सुख के बिना राम की कृपा दुर्लभ है।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना।।

अर्थ- आपकी शरण में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को आनंद मिलता है और जब आप रक्षक हैं तो किसी का भय नहीं रहता।

आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हांक तें कांपै।।

अर्थ- तेरे वेग को तेरे सिवा कोई नहीं रोक सकता, तेरी दहाड़ से तीनों लोक कांपते हैं।

भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै।।

अर्थ- जहां महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहां भूत-प्रेत भी पास नहीं हो सकते।

नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा।।

अर्थ- वीर हनुमान जी! निरंतर आपका नामजप करने से सारे रोग दूर हो जाते हैं और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

अर्थ- हे हनुमान! सोचने में, काम में और बोलने में, वे सब जिनका ध्यान तुम में है,

आप मुझे विपत्तियों से बचाते हैं।

सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा।।

अर्थ- तपस्वी राजा श्री रामचंद्र जी श्रेष्ठ हैं, आपने उनके सभी कार्य सहजता से किए हैं।

और मनोरथ जो कोइ लावै, सोई अमित जीवन फल पावै।।

अर्थ- जिस पर आप दया करते हैं, वह चाहता है, तो उसे ऐसा फल मिलता है, जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।

चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा।।

अर्थ- आप चारों युगों में सफल हुए, अर्थात् सत्य युग, त्रेता और द्वापर कलियुग, दुनिया में हर जगह आपकी प्रसिद्धि चमक रही है।

साधु सन्त के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे।।

अर्थ- श्री राम के दुलारे! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता।।

अर्थ- आपको माता श्री जानकी की कृपा प्राप्त हुई है, जिससे आप किसी को भी आठ सिद्धियाँ और नौ निधियाँ दे सकते हैं।

यह है।

राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा।।

अर्थ- आप सदा श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते हैं, इसलिए आपके पास वृद्धावस्था और असाध्य रोगों के विनाश के लिए राम नामक औषधि है।

तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै।।

अर्थ- स्वयं की पूजा करने से श्री राम जी की प्राप्ति होती है और जन्म-जन्मान्तर के दुःख दूर होते हैं।

अन्त काल रघुबर पुर जाई, जहां जन्म हरि भक्त कहाई।।

अर्थ- अंत में वे श्री रघुनाथ जी के धाम में चले जाते हैं, और यदि वे अभी भी पैदा होते हैं, तो वे भक्ति करेंगे और श्री राम के भक्त कहलाएंगे।

और देवता चित न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई।।

अर्थ- हे हनुमान! आपकी सेवा करने से आपको सभी प्रकार के सुख मिलते हैं, फिर किसी अन्य देवता की कोई आवश्यकता नहीं है।

संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

अर्थ- हे वीर हनुमान जी! जो आपकी स्तुति करता रहता है, उसकी सारी समस्याएँ कट जाती हैं और सारी पीड़ाएँ दूर हो जाती हैं।

जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाई।।

अर्थ- हे हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो, जय हो! एक दयालु श्री गुरु जी के रूप में आपको मुझ पर दया करनी होगी।

जो सत बार पाठ कर कोई, छूटहि बंदि महा सुख होई।।

अर्थ- जो कोई भी इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा, वह सभी बंधनों से मुक्त हो जाएगा और परमानंद प्राप्त करेगा।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा।।

अर्थ- भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखी थी, इसलिए वे इस बात के साक्षी हैं कि जो कोई भी इसे पढ़ेगा वह अवश्य सफल होगा।

तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।

अर्थ- हे हनुमान जी! तुलसीदास हमेशा श्री राम के दास हैं। तो वह उसके दिल में रहता है।

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सूरभूप।।

अर्थ- संकट मोचन पवन कुमार! आप खुशी के अवतार हैं। हाय भगवान! आप श्रीराम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास करते हैं।