ब्रह्मचारिणी देवी कवच/Brahmacharini Devi Kavach
Brahmacharini Devi Kavach (ब्रह्मचारिणी देवी कवच)
॥ कवच ॥
त्रिपुरा में हृदयेपातु ललाटेपातु शंकर भामिनी।
अर्पणा सदा पातु नेत्रो अर्धरोचक पोलो॥
पंचदशी कण्ठे पातु मध्यदेशे पातु महेश्वरी॥
षोडशी सदा पातु नाभो गृहोच पादयो।
अंग प्रत्यंग सतत पातुब्रह्मचारिणी॥
Brahmacharini Devi Kavach/ब्रह्मचारिणी देवी कवच
॥Kavach॥
Hridayepatu llatepatu Shankar bhamini in Tripura.
Arpana sada patu netro ardharochaka polo
Panchadashi kanthe patu Madhya deshe patu maheshwari
Shodshi sada patu nabho grihocha padyo.
Organ Pratyang Continuous Patubrahmacharini
Brahmacharini Devi Kavach/ब्रह्मचारिणी देवी कवच विशेषताऐ :
नवरात्रि का दूसरा दिन मां नव दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरुप को समर्पित माना जाता है| ब्रह्मचारिणी देवी कवच के साथ-साथ यदि दुर्गा कवच का पाठ किया जाए तो, इस कवच का बहुत लाभ मिलता है, यह कवच शीघ्र ही फल देने लग जाते है| यदि साधक इस कवच का पाठ प्रतिदिन नियमित रूप से करने से बुराइया खुद- ब- खुद दूर होने लग जाती है साथ ही सकरात्मक ऊर्जा प्राप्त होने लगती है| अपने परिवार जनों का स्वस्थ्य ठीक रहता है और लम्बे समय से बीमार व्यक्ति को इस कवच का पाठ सच्चे मन से करने पर रोग मुक्त हो जाता है|
यदि मनुष्य अपने जीवन के सभी प्रकार के भय, डर से मुक्ति चाहता है तो वह इस कवच का पाठ करे| ब्रह्मचारिणी देवी कवच के पाठ के साथ साथ दुर्गा चालीसा और दुर्गा स्तुति का भी पाठ करने से मनोवांछित कामना पूर्ण होती है| और साधक के जीवन में रोग, भय, दोष, शोक, बुराइया, डर दूर हो जाते है याद रखे इस कात्यायनी देवी कवच पाठ को करने से पूर्व अपना पवित्रता बनाये रखे|