Shradh Kyon-Kaise Karen Book/श्राद्ध क्यों-कैसे करें पुस्तक
Shradhdha Kyon Aur Kaise Karen (श्राद्ध क्यों-कैसे करें पुस्तक) is an important book, Shradh Kyon-Kaise Karen Book is not easily available, this book has been written by Pt. Shashi Mohan Behal and Published by Randhir Prakashan, Haridwar, Published in 2014, the book has 144 pages.
Shradh Kyon-Kaise Karen Book Content list:
According to the content list of the Shradh Kyon-Kaise Karen Book, the contents are duly expressed in a simple language for the convenience of the readers. The matters are mentioned here under. Acharya Uvach, knowing the life-cycle before Shradh, death is not the end but the beginning, why do Shradh, ‘Tarpan’ is necessary for ancestral fulfillment, auspicious results of Shradh, what can you do your own Shradh, Pitridosh in astrology, Other articles on the subject of Shradh, do Shradh for the peace of fathers, Shradh is incomplete without offering it to the mother, how to perform Shradh if you are abroad, do not perform any Shradh., crow, why eat dog and cow ?, Which memorial when, how is described in more detail about the memorial, that is why the memorial is an important part of how to Shradh Kyon-Kaise Karen Book.
Shradh Kyon-Kaise Karen Book Benefits:
- By reading the Shradh Kyon-Kaise Karen Book, important information about Shradh is given.
- By reading the Shradh Kyon-Kaise Karen Book, you can know the importance of Shradh.
Shradh Kyon-Kaise Karen Book Description:
The ancestors are pleased and satisfied by performing Shradh. According to the Atri Samhita, the Shradh attains Paramgati. If Shradh is not performed, the fathers suffer. He is angry and curses. Shradhdha is an etymology of the word Shrad. The tradition of Shrad in one form or another is prevalent in almost all sects of religions of the world and they perform Shrad Karma as an expression of reverence towards fathers in the year. In Indian culture, having a son is only meaningful when he performs his service and posthumously during his lifetime and performs his due rituals as soon as possible. There is a belief about Shraddha that after death souls are present in their past environment for ever.
श्राद्ध क्यों-कैसे करें पुस्तक/Shradh Kyon-Kaise Karen Book
श्राद्ध क्यों और कैसे करें एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, श्राद्ध क्यों और कैसे करें पुस्तक/Shradh Kyon-Kaise Karen Book आसानी से उपलब्ध नहीं होती, यह पुस्तक आचार्य पं. शशिमोहन बहल जी के द्वारा लिखी हुई है, इस श्राद्ध क्यों और कैसे करें पुस्तक को रणधीर प्रकाशन हरिद्वार, ने सन् 2014 में प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 144 पृष्ठ(पेज) है।
श्राद्ध क्यों-कैसे करें पुस्तक की विषय सूचि:
श्राद्ध क्यों और कैसे करें पुस्तक में विषय सूचि अनुसार– आचार्य उवाच, श्राद्ध से पहले जीवनचर्या को जाने, मृत्यु अंत नहीं, प्रारम्भ है, श्राद्ध क्यों करते है, पितृ तृप्ति के लिए आवश्यक है ‘तर्पण’, श्राद्ध करने के शुभ प्रतिफल, क्या कर सकते है स्वयं अपना श्राद्ध, ज्योतिष में पितृदोष, श्राद्ध विषय पर अन्य लेख, पितरों की शान्ति हेतु करें श्राद्ध, माता पक्ष को तर्पण बिना श्राद्ध अधूरे, अगर आप विदेश में हों तो श्राद्ध कैसे करें, कोई श्राद्ध न करे तो…?, कौए, कुत्ते और गाय को भोजन क्यों?, कौन सा श्राद्ध कब, कैसे करें श्राद्ध के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि श्राद्ध क्यों और कैसे करें पुस्तक/Shradh Kyon-Kaise Karen Book के महत्वपूर्ण अंग है।
श्राद्ध क्यों-कैसे करें पुस्तक के लाभ:
- श्राद्ध क्यों और कैसे करें पुस्तक को पढ़ने से श्राद्ध की महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
- श्राद्ध क्यों और कैसे करें पुस्तक को पढ़कर श्राद्ध करने के महत्व को जान सकते है।
श्राद्ध क्यों-कैसे करें पुस्तक का विवरण:
श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न एवं संतुष्ट होते है। अत्रि संहिता के अनुसार श्राद्धकर्ता परमगति को प्राप्त करता है। अगर श्राद्ध नहीं किया जाता है, तो पितरों को कष्ट होता है। वह रुष्ट होकर श्राप भी दे देते है। ‘श्राद्ध’ श्रद्धा शब्द की व्युत्पत्ति है। विश्व के लगभग सभी सम्प्रदायों धर्मों में किसी न किसी रूप में श्राद्ध की परम्परा प्रचलित है और वह वर्ष में पितरों के प्रति श्रद्धा की अभिव्यक्ति के रूप में श्राद्ध कर्म करते है। भारतीय संस्कृति में पुत्र होना तभी सार्थक है, जब वह अपने जीवनकाल में उनकी सेवा और मरणोपरान्त उनका विधिवत क्रियाकर्म और यथासमय श्राद्ध करें। श्राद्ध के विषय में मान्यता है कि मृत्यु के पश्चात आत्माएं अपने अतीत के वातावरण में चिरकाल तक उपस्थित रहती है।
Shradh Kyon Karen Book Details:
Book Publisher: Randhir Prakashan
Book Author: Pt. Shishomani Behal
Language: Hindi
Weight: 185 gm Approx.
Pages: 144 Pages
Size: “21” x “14” x “1” cm
Shipping: Within 4-5 Days in India
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