Shatkarm Vidhan Book (षट्कर्म विधान पुस्तक) is an important book, Shatkarm Vidhan book is not easily available, this book has been written by Yogeshwaranand Ji, this Book has been published by Aastha Prakashan, Uttar Pradesh, in 2016, This book contains 252 pages.
Shatkarm Vidhan Book Content list:
According to the content list of the book, the contents are duly expressed in a simple language for the convenience of the readers. The matters are mentioned hereunder. Shatkarm-Vidhan, mantra Sidhdhi secret, mantra experiment, mala samskara, Shabar Sidhdhi Vidhan, Yajna and kunda, Shanti karma, Vashikaran-experiment, Stambhan karma, scholarly karma, Uchchaatan karma, Dhumavati Tantra, kalratri Tantra, Shatru samachar experiment, Mishra experiment , Some of the influential mantras of Jainism have been described in detail, which is an important part of the Shatkarm Vidhan Book.
Shatkarm Vidhan Book Benefits:
- Reading the Shatkarm Vidhan Book provides important information about the mantra-Tantra.
- By reading the Shatkarm Vidhan Book, you can understand the pillar and Tantra.
- From the Shatkarm Vidhan Book, you can know the events happening in your life with the Yantra Mantra Tantra.
Shatkarm Vidhan Book Description:
The interest of editing Shatkarm through ‘Mantra Tantra Yantra’ is often seen in all religions and sects. Some more departments of six deeds have also been done somewhere. But mainly six deeds are seen more. These Shatkarmas – known as Shanti, Vashikaran, Stambhan, Uchchatan, scholasticism and maran. ‘Shanti Karma’ is the work of welfare, Mars supplier, peace of body and mind, peace of tribulations, peace of ill effects of planetary obstacles, attainment of Riddhi-siddhi, removal of poverty etc. ‘Mohan’ to purposely fascinate someone; Getting someone to work in your favorable way, ‘charm’ and to get someone to do any good inauspicious work is called ‘Vashikaran’ karma. To curb one’s instincts, to stop the living or inanimate where there are deeds, etc. is called “Stambhan Karma”. To drop down from the place, to raise doubts in one’s mind, to frighten, to drive away or to move, is called ‘Uchchatan’ karma. The person affected by this karma wanders around and his brain becomes unstable so it does not work favorably.
षट्कर्म विधान पुस्तक/Shatkarm Vidhan Book
षट्कर्म विधान एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, षट्कर्म विधान पुस्तक आसानी से उपलब्ध नहीं होती, यह पुस्तक योगेश्वरानन्द जी के द्वारा लिखी हुई है, इस षट्कर्म विधान पुस्तक को आस्था प्रकाशन, उत्तर प्रदेश, ने सन् 2016 में प्रकाशित किया है, इस पुस्तक में 252 पृष्ठ(पेज) है।
षट्कर्म विधान पुस्तक/Shatkarm Vidhan Book की विषय सूचि:
षट्कर्म विधान पुस्तक में विषय सूचि अनुसार- षट्कर्म-विधान, मंत्र सिद्धि रहस्य, मंत्र प्रयोग, माला संस्कार, शाबर सिद्धि विधान, यज्ञ एवं कुण्ड, शान्ति कर्म, वशीकरण-प्रयोग, स्तम्भन कर्म, विद्वेषण कर्म, उच्चाटन कर्म, धूमावती तंत्र, कालरात्रि तंत्र, शत्रु संहार प्रयोग, मिश्र प्रयोग, जैन धर्म के कुछ प्रभावशाली मंत्र के बारे में विस्तार रूप से बताया गया है, जोकि षट्कर्म विधान पुस्तक के महत्वपूर्ण अंग है।
षट्कर्म विधान पुस्तक/Shatkarm Vidhan Book के लाभ:
- षट्कर्म विधान पुस्तक को पढ़ने से मंत्र-तंत्र के महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी मिलती है।
- षट्कर्म विधान पुस्तक को पढ़कर आप स्तम्भन और तंत्र को समझ सकते है।
- षट्कर्म विधान पुस्तक से आप यंत्र मंत्र तंत्र से अपने जीवन में होने वाली घटनाओं को जान सकते है।
षट्कर्म विधान पुस्तक/Shatkarm Vidhan Book का विवरण:
‘मंत्र तंत्र यंत्र’ के द्वारा षट्कर्मो का सम्पादन करने कि रूचि प्राय: सभी धर्मो में, सम्प्रदायों में दृष्टिगत होती है। कहीं कहीं छ: कर्मो के कुछ अधिक विभाग भी कर दिए गये है। परन्तु मुख्यत: छ: कर्म ही अधिक देखने में आते है। ये षट्कर्म- शान्ति, वशीकरण, स्तम्भन, उच्चाटन, विद्वेषण एवं मारण के नाम से ज्ञात होते है। कल्याणकारी, मंगल प्रदायक, शरीर व मन के रोगों की शान्ति, क्लेशों की शान्ति, ग्रह बाधाओं के कुप्रभावों की शान्ति, ऋद्धि-सिद्धि प्राप्ति, दरिद्रता निवारण आदि का कार्य ‘शान्ति कर्म’ के अंतर्गत आता है। किसी को उद्देश्यपूर्वक मोहित कर लेना ‘मोहन’; किसी को अपने अनुकूल बनाकर कार्य करा लेना ‘आकर्षण’ तथा किसी को कैसा भी शुभ अशुभ कार्य करा लेने हेतु वशीभूत कर लेना ‘वशीकरण’ कर्म कहलाता है। किसी की वृत्तियों का निरोध कर देना, सजीव अथवा निर्जीव को जहां का तहां रोक देना आदि कर्मो को “स्तम्भन कर्म” कहा जाता है। स्थान से नीचे गिरा देना, किसी के मन में शंका उत्पन्न कर भयभीत कर देना, भगा देना या स्थानांतरित कर देना ‘उच्चाटन’ कर्म कहलाता है। इस कर्म से प्रभावित साध्य व्यक्ति मारा मारा फिरता है तथा उसका मस्तिष्क अस्थिर हो जाता है।
Shatkarm Vidhan Book Details:
Book Publisher: Astha Prakashan
Book Author: Yogeshwaranand
Language: Hindi
Pages: 418 Pages
Size: “22” x “14.5” cm.
Weight: 655 gm Approx
Edition: 2021
Shipping: Within 4-5 Days in India
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