Main Bahein-Phailaye Khada Hun Book/मैं बाहें-फैलाये-खड़ा हूँ पुस्तक : Today, while in the increasingly incompatibilities, again, the shadow of spirituality is being discover. Again the story of Indian traditions has been heard, reinterpretation and expediency of Indian schools is being experienced. Hidden emptiness in materialism is experience. There is no clear path before the person, which can give them complete satisfaction. –Main Bahein-Phailaye Khada Hun Book.
There is a lot of things to say, there are many methods, but there is no one which invites him with his fragrance. In such an overwhelming state, a name automatically emerges and comes forth. – ‘Pujaypad Sadguru Gurudev Dr. Narayana Dutt ‘Shreemali ji‘. One of the divine personalities, that whoever goes to him, all the problems of mind and all the tension of mind. Comes into the process of self-elimination, and this is prove. His thousands of students, who have received their close companionship, got this benefit.
As a legendary astrologer, as a noted astrologer, he has been famous in the entire country and in different international conferences beyond the boundaries. It is only one aspect of his vast personality. In fact, in the dark of the anguish and suffocation of this dissonance. It is like a Jyotipunj, more than a Jyotirvid, whose eternal face is always illuminated with a divine aura.
Main Bahein-Phailaye Khada Hun Book/मैं बाहें-फैलाये-खड़ा हूँ पुस्तक About Author:
The world famous Dr. Narayan Dutt Shrimali was an exponent spiritual Guru of this era. He implies the lost spiritual science into a modern way. Which was a true cultural heritage of India particularly on subjects such as Mantra, Tantra. Palmistry, Astrology, Ayurveda, Hypnotism, Kriya Yoga, Solar Science, and Alchemy to the easy reach of common people. He introduces the significance of Tantra in beautification of one’s life and in shaping a healthy, constructive society.
मैं बाहें-फैलाये-खड़ा हूँ पुस्तक/Main Bahein-Phailaye Khada Hun Book:
आज जबकि निरंतर बढती जा रही विषमताओं में, पुन: आध्यात्मिकता की छाँव ढूंढी जा रही है, फिर से भारतीय परम्पराओं की बात कही सुनी जाने लगी है, भारतीय विद्याओं की पुनर्व्याख्या और समीचीनता अनुभव की जा रही है, भौतिकता में छुपी रिक्तता अनुभव की जा रही है – व्यक्ति के समक्ष कोई स्पष्ट मार्ग नहीं है, जो उन्हें पूर्ण तृप्ति दे सके। कहने को तो बहुत से मत है, बहुत सी पद्धतियाँ है, लेकिन ऐसा कोई भी नहीं जो उसे अपनी सुगंध से आप्लावित कर दे…ऐसी घटाटोप स्थिति में एक नाम स्वत: ही उभर कर समक्ष आता है-Main Bahein-Phailaye Khada Hun Book
‘पूज्यपाद सद्गुरु गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी’ का – एक ऐसा दैवीय व्यक्तित्व है, जिनके पास जाते ही मन की सारी समस्याएं और मन का सारा तनाव, स्वत: समाप्त होने की क्रिया में आ जाता है, और इस तथ्य के साक्षीभूत है, उनके सैंकड़ों-हजारों वे शिष्य, जो उनका घनिष्ठ साहचर्य प्राप्त कर चुके है। एक श्रेष्ठ ज्योतिषी के रूप में, एक प्रख्यात ज्योतिर्विद के रूप में वे सम्पूर्ण देश की सीमाओं से बाहर भी विभिन्न अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलनों में विख्यात रहे है, लेकिन उनके विराट व्यक्तित्व का तो यह केवल एक पहलू भर है। वास्तव में तो वे इस विसंगति से भरे नैराश्य और घुटन की पीड़ा के अन्धकार में, एक ज्योतिर्विद से भी अधिक एक ज्योतिपुंज के समान है, जिनके दैदीप्यमान मुख-मण्डल पर सदैव ही आलोकित रहती है – एक दैवी आभा।
सचमुच उनके नेत्रों में जहां एक ओर उपस्थित है सूर्य जैसा तीव्र तपोबल का प्रभाव, वहीँ उनके रोम रोम से और मुख-मुद्रा से फूटता स्मित हास्य साक्षात पूर्णिमा के चन्द्र के समान ही सुधामय है, किन्तु इस ज्योतिपुंज को स्पर्श करने के लिए व्यक्ति को थोडा तो प्रयास करना ही होगा, जिस प्रकार से बंद पड़े कमरे में केवल एक खिड़की खोलना पर्याप्त होता है और एक ही क्षण में सूर्य अपनी तेजस्विता और चन्द्रमा अपनी पीयूष रश्मियों का प्रवेश बिना किसी हिचकिचाहट के औदार्य पूर्वक कर देता है, वही स्थिति होती है किसी भी तप: पूत एवं ऐसे ऋषि के समक्ष। सूर्य का प्रकाश या चन्द्रमा की किरणें धीरे धीरे करके कमरे में प्रवेश नहीं करतीं, यह तो निर्भर करता है कि व्यक्ति ने उनके प्रवेश के लिए क्या स्थान बनाया है, ठीक यही स्थिति है पूज्यपाद गुरुदेव के सन्दर्भ में। -Main Bahein-Phailaye Khada Hun Book.
प्रारम्भिक प्रयास करने की आवश्यकता है और आप्लावित कर लेना है अपने आप को उनकी दिव्यता से, केवल एक उपस्थिति के पश्चात ही, फिर उनके व्यक्तित्व के बारे में अधिक कुछ कहने-सुनने की आवश्यकता शेष रह ही कहां जाती है। ऐसे दिव्य व्यक्तित्व इस धरा पर अधिक समय के लिए अवतीर्ण नहीं होते। पूज्यपाद गुरुदेव भी यदि इस धरा पर उपस्थित है, तो केवल अपने गुरुदेव ‘पूज्यपाद परमहंस स्वामी सच्चिदानंद जी’ की आज्ञा को शिरोधार्य करने के कारण, जिससे कि छल, कपट, व्यभिचार और निरंतर युद्धों से बोझिल हो गई इस धरा पर पुन: शान्ति और सौजन्यता का वातावरण स्थापित किया जा सके। -Main Bahein-Phailaye Khada Hun Book.
Main Bahein-Phailaye Khada Hun Book Details:
Book Publisher: S. Series Books
Book Author: Dr. Narayan Dutt Shrimali
Language: Hindi
Weight: 0.040 gm Approx.
Pages: 32 Pages
Size: “20” x “13” x “0.5” cm
Edition: 2004
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