Mantra Vidhan, मन्त्र विधान

Mantra Vidhan/मन्त्र विधान

Mantra Vidhan/मन्त्र विधान: Sound is Brahma, Mantra is not just the word, but the set of word, its intonation and meaning. Any of these independently does not qualify to be called mantra. It is said that the word along with its intonation is mantra (Sa Swaro Mantraah), while the same word when not accompanied by its intonation is for contemplation of the meaning alone. -Mantra Vidhan.

Before Chanting any spell, following rules are to be observed by Mantra Vidhan, then you can see the result immediately.

According Mantra Vidhan: Muhurat, Direction, Wooden Stool, Seat, Rosary Should be arranged as per the type of Mantra Sadhana.

1) Sanctification: For sanctification take water on the left palm and cover the palm with right palm and chant the following spell. Thereafter sprinkle the water all over your body.

ॐ अपवित्र : पवित्रो  वा  सर्वावस्थां गतोsपिवा ।
य: स्मरेत पुंडरीकाक्षं स: बाह्य अभ्यंतर: शुचि ॥

2) Rinsing: For the inner sanctification take a pot of water and with the help of a spoon, drink the water after each spell three times. This act will purify your mind, voice and deeds.

ॐ अमृतोपस्तरणमसि स्वाहा।
ॐ अमृताविधानमसि स्वाहा।
ॐ सत्यं यश: श्रीमंयी श्री: श्रयतां स्वाहा।
ॐ नारायणाय नम:बोल कर हाथ धो ले।

3) Pranayam: Inhale the air slowly and keep it inside for a while and breathe out slowly. This process is called Prayanam. After pronouncing the following spell, while breathing in you should feel that you are getting the power and sense through inhaling and while breathing out feel that all the sins and bad habits are going out with the air.

ॐ भू: ॐ भुव: ॐ स्व: ॐ मह:।
ॐ जन: ॐ तप: ॐ सत्यम।
ॐ तत्सवितुर्ररेण्यं भर्गो देवस्य धीमही धियो यो न: प्रचोदयात।
ॐ आपोज्योतिरसोअमृतं बह्मभूर्भुव स्व: ॐ।

4) Body Pledge: Take water on the left palm and join all the five fingers of right hand pour the fingers into the water and touch different parts of the body feeling that all your body parts are being sanctified and scrumptious. This will empower the body parts and makes sensible.

ॐ वाड़्॰गमे आस्येऽस्तु (मुख को स्पर्श करें)
ॐ नसोऽर्मे  प्राणोऽस्तु (नासिका के दोनों छिद्रों को स्पर्श करें)
ॐ अक्ष्णोर्मे  चक्षुरस्तु (दोनों नेत्रों को स्पर्श करें)
ॐ कर्णयोर्मे श्रोत्रमस्तु (दोनों कानों को स्पर्श करें)
ॐ बाह्वोर्मे  बलमस्तु (दोनों बाहों को स्पर्श करें)
ॐ ऊवोर्मे   ओजोऽस्तु (दोनों जांघों को स्पर्श करें)
ॐ अरिष्टानि अङ्गानि सन्तु (शरीर के सभी अंगों को स्पर्श करें)

5) Worship of seat: Before chanting any spell the worship of the seat is essential. For this chant the following spell and make a triangle under the seat and put rice, flower and a little water on it and pray to earth so that the Dosha of earth.

   ह्रीं    क्लीं   आधारशक्ति    कमलासनाय    नम: ।
   पृथ्वि!  त्वया  घृतालोका  देवी!   त्वं   विष्णुना  घृता
त्वं      धारय    मां   देवी!   पवित्रं   कुरु    चासनम्।
ॐ आधार शक्तये नमः, ॐ कुर्मासनाय नमः, ॐ अनन्तसनाय
नमः,   विमलासनाय  नमः,   आत्मासनाय   नमः ।

6) Boding to the Direction: Chanting the following spell sprinkle water and rice to all the directions and thereafter hit the earth thrice with heel. This will eradicate the negative energy and there will be no obstacles while performing the accomplishment.

ॐ अपसर्पन्तु ते भूता: ये भूता: भूमि संस्थिता:।
ये  भूता:  विघ्नकर्तारस्ते  नशयन्तु  शिवाज्ञया॥
अपक्रामन्तु भूतानि  पिशाचा: सर्वतो  दिशम्।
सर्वेषामविरोधेन पुजा कर्म समारभे ॥

7) Resolution: It means that without aim no one can achieve the target hence before the chanting resolution must be done. On the right palm take water, one coin, rice and resolute. In Sadhana take the resolution ion the first day. You can make the total resolution in first day itself for the total period and Drop the water of the palm on ground. -Mantra Vidhan.

  विष्णु विष्णु विष्णु मैं आज शुभ संवत् ………, शक संवत्…………., सन्………, मासोत्तमेमासे …………..मासे,
……………………
शुक्ल/कृष्ण पक्षे…………, तिथि……….., दिन…………, क्षेत्र………., पता…………, तल………..,
मुहर्त…………., चरण…………., गौत्र…………., नाम…………, मैं ………….साधना/प्रयोग करने का संकल्प करता हुं!
जिससे मेरी यह कामना……………….., भविष्य में शीघ्र पूर्ण हो, व मेरे जीवन में से समस्त प्रकार की दरिद्रता ऋण, बाधा,
कष्ट, पीड़ा, शत्रु आदि समाप्त हो, इस सभी कामनाओं के लिए मैं यह ……………………………., साधना कर रहा हूँ। हे!
भगवान सदाशिव व माँ भगवती आप स्वयं आकर मुझे यह साधना पूर्ण कराये ऐसा मैं आशीर्वाद प्राप्त करने का आकांक्षी हूँ।

8) Meditation for Ganapati: For the success of any work Lord Ganapati is worshipped. At first perform the adoration and worship of Ganapati.

विध्नेश्वराय  वरदाय   सुरप्रियाय।
लम्बोदराय सकलायजगद्विताय॥
नागाननाय श्रुति यज्ञ  विभूषिताय।
गौरी  सुतायगणनाथ नमो नमस्ते॥

9) Meditation for Lord Shiva: Folding both the hands meditate Lord Shiva as Guru and worship him.

गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णुः गुरूर्देवो महेश्वरः।
गुरू साक्षात परंब्रह्म तस्मै श्री गुरूवे नमः ॥

10) Meditation for goddess Durga: Pray goddess Durga with folded hands and worship her.

नमो  दैव्यै महादेव्यै  शिवायै  सततं  नम:।
नम: प्रकृतयै भद्रायै नियता: प्रणता: स्मताम॥
या  देवी  सर्व  भूतेषु  मातृरूपेण  संस्थिता।
नमस्तस्यै  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

11) Guru Mantra: After that take a yellow Hakik rosary or Rudraksha rosary and chant the following spell one rosary so that your accomplishment becomes successful. Thereafter according to norms start Sadhana by Mantra Vidhan.

 ॐ परम तत्वाय नारायण गुरुभ्यों नम: 

Mantra Vidhan

मन्त्र विधान/Mantra Vidhan

शब्द ही ब्रह्म है। शब्दों का विशेष संयोजन ही ‘मन्त्र’ कहलाता है। जिस तरह शब्द के बिना शब्द के अर्थ की उत्पत्ति सम्भव नहीं है, उसी तरह ‘शब्द’ और ‘अर्थ’ का सम्बन्ध ठीक वैसा ही है जैसा कि ‘शिव’ और ’शक्ति’ का, लेकिन मन्त्र का जाप सीधे तौर पर नहीं किया जाता, हर मन्त्र के पीछे कुछ ना कुछ विधान अवश्य होता है। यदि उस विधान अनुसार मन्त्र का जाप किया जाये तो निश्चित ही कार्य सिद्ध होते है।

कोई भी मन्त्र जाप करने से पूर्व निम्नलिखित मन्त्र विधान/Mantra Vidhan अवश्य ही करें, फिर देखें किस तरह से आपके मनोवांछित कार्य समय पर पूरे होंगे।

Mantra Vidhan: मुहूर्त, दिशा, चौकी, आसन, माला आदि विधान का प्रयोग उस साधना अनुसार करें जिस साधना को आप करने जा रहे है।

1) पवित्रीकरण: पवित्रीकरण के लिए बाएँ(Left Hand) हाथ में जल लेकर दाहिने(Right Hand) हाथ से ढक कर निम्न मंत्र पढ़े मंत्र पूरा पढकर सीधे हाथ से अभिमंत्रित जल को अपने संपूर्ण शरीर पर छिडक लें। ऐसा करने से शरीर की शुद्धि होती है।

 ॐ अपवित्र : पवित्रो  वा  सर्वावस्थां गतोsपिवा ।
य: स्मरेत पुंडरीकाक्षं स: बाह्य अभ्यंतर: शुचि ॥

2) आचमन: आंतरिक शुद्धि के लिए पंचपात्र(लोटा) में से जल लेकर आचमनी(चम्मच) से तीन बार निम्न मंत्रो के उच्चारण के साथ एक-एक करके जल पीये। ऐसा करने से आपकी मन वचन और कर्म से आंतरिक शुद्धि होती है।

ॐ अमृतोपस्तरणमसि स्वाहा।
ॐ अमृताविधानमसि स्वाहा।
ॐ सत्यं यश: श्रीमंयी श्री: श्रयतां स्वाहा।
ॐ नारायणाय नम:” बोल कर हाथ धो ले।

3) प्रणायाम: श्वास को धीमी गति से अंदर गहरी खींचकर थोड़ा रोकें एवं पुन: धीरे-धीरे निकालना प्रणायाम कहलाता है। निम्न मंत्र के उच्चारण के उपरान्त, अपनी श्वास खींचते समय यह भावना करें कि प्राण शक्ति एवं चेतना सांस के द्वारा हमें प्राप्त हो रही है और श्वास छोड़ते समय यह भावना करें कि समस्त दुर्गण-दुष्प्रवृतियां, बुरे विचार, श्वास के साथ बाहर निकल रहे है।

ॐ भू: ॐ भुव: ॐ स्व: ॐ मह:।
ॐ जन: ॐ तप: ॐ सत्यम।
ॐ तत्सवितुर्ररेण्यं भर्गो देवस्य धीमही धियो यो न: प्रचोदयात।
ॐ आपोज्योतिरसोअमृतं बह्मभूर्भुव स्व: ॐ।

4) अंग न्यास: बाएँ(Left Hand) हाथ में जल लेकर दाहिने हाथ(Right Hand) की समूहबद्ध, पांचों उंगलियों से निम्न मंत्रों के साथ शरीर के विभिन्न अंगों को स्पर्श करें और ऐसी भावना मन में रखे कि वे सभी अंग शक्तिशाली तेजस्वी और पवित्र बन रहे है। ऐसा करने से अंग शक्तिशाली बनते है और चेतना प्राप्त होती है।

ॐ वाड़्॰गमे आस्येऽस्तु (मुख को स्पर्श करें)
ॐ नसोऽर्मे  प्राणोऽस्तु (नासिका के दोनों छिद्रों को स्पर्श करें)
ॐ अक्ष्णोर्मे  चक्षुरस्तु (दोनों नेत्रों को स्पर्श करें)
ॐ कर्णयोर्मे श्रोत्रमस्तु (दोनों कानों को स्पर्श करें)
ॐ बाह्वोर्मे  बलमस्तु (दोनों बाहों को स्पर्श करें)
ॐ ऊवोर्मे   ओजोऽस्तु (दोनों जांघों को स्पर्श करें)
ॐ अरिष्टानि अङ्गानि सन्तु (शरीर के सभी अंगों को स्पर्श करें)

5) आसन पूजन: किसी भी मन्त्र के जाप से पूर्व आसन पूजन अवश्य ही होता है। इसके लिए निम्न मंत्र पढ़कर आसन के नीचे त्रिकोण बनाकर अक्षत, पुष्प व जल अर्पित करें और पृथ्वी माता से हाथ जोड़कर निम्न मन्त्र पढ़कर प्रार्थना करें, ऐसा करने से पृथ्वी दोष नहीं लगता।

ॐ   ह्रीं    क्लीं   आधारशक्ति    कमलासनाय    नम: ।
ॐ   पृथ्वि!  त्वया  घृतालोका  देवी!   त्वं   विष्णुना  घृता
त्वं   च   धारय    मां   देवी!   पवित्रं   कुरु    चासनम्।
ॐ आधार शक्तये नमः, ॐ कुर्मासनाय नमः, ॐ अनन्तसनाय
नमः, ॐ  विमलासनाय  नमः, ॐ  आत्मासनाय   नमः ।

6) दिग् बन्धन: निम्नलिखित मन्त्र का उच्चारण करते हुए चारों दिशाओं में ऊपर नीचे जल या अक्षत(चावल) छिड़क दें, तत्पश्चात अपनी बाईं एड़ी से तीन बार भूमि पर आघात करें, ऐसा करने से आपके आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है और साधना करने में कोई विघ्न नहीं आता।

ॐ अपसर्पन्तु ते भूता: ये भूता: भूमि संस्थिता:।
ये  भूता:  विघ्नकर्तारस्ते  नशयन्तु  शिवाज्ञया॥
अपक्रामन्तु भूतानि  पिशाचा: सर्वतो  दिशम्।
सर्वेषामविरोधेन पुजा कर्म समारभे ॥

7) संकल्प: संकल्प का अर्थ है – उद्देश्य, बिना उद्देश्य के लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती इसलिए मन्त्र जाप से पूर्व संकल्प अवश्य ही करना चाहिए। सीधे हाथ में जल, रुपया, चावल लेकर संकल्प करें। साधना में संकल्प पहले दिन ही करें। जैसे – आप 5 या 11 दिन की साधना करने जा रहे है, तो पहले दिन ही 5 या 11 दिन का मन्त्र जाप करने का संकल्प कर लें, नित्य संकल्प की आवश्यकता नहीं है।

ॐ  विष्णु विष्णु विष्णु मैं आज शुभ संवत् ………, शक संवत्…………., सन्………, मासोत्तमेमासे …………..मासे,
……………………शुक्ल/कृष्ण पक्षे…………, तिथि……….., दिन…………, क्षेत्र………., पता…………, तल………..,
मुहर्त…………., चरण…………., गौत्र…………., नाम…………, मैं ………….साधना/प्रयोग करने का संकल्प करता हुं!
जिससे मेरी यह कामना……………….., भविष्य में शीघ्र पूर्ण हो, व मेरे जीवन में से समस्त प्रकार की दरिद्रता ऋण, बाधा,
कष्ट, पीड़ा, शत्रु आदि समाप्त हो, इस सभी कामनाओं के लिए मैं यह ……………………………., साधना कर रहा हूँ। हे!
भगवान सदाशिव व माँ भगवती आप स्वयं आकर मुझे यह साधना पूर्ण कराये ऐसा मैं आशीर्वाद प्राप्त करने का आकांक्षी हूँ।

जल भूमि पर छोड़ दे!

8) गणपति ध्यान: किसी भी कार्य सिद्धि के लिए श्री गणपति का स्मरण किया जाता है। इसलिए दोनों हाथ जोड़कर मंगल मूर्ति का ध्यान करें और गणपति पूजन करें।

विध्नेश्वराय  वरदाय  सुरप्रियाय।
लम्बोदराय सकलायजगद्विताय॥
नागाननाय श्रुति यज्ञ  विभूषिताय।
गौरी  सुतायगणनाथ नमो नमस्ते॥

9) शिव ध्यान करें : इसी तरह दोनों हाथ जोड़कर गुरु रूप में शिव का ध्यान करें शिव पूजन करें।

गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णुः गुरूर्देवो महेश्वरः
गुरू साक्षात परंब्रह्म तस्मै श्री गुरूवे नमः ॥

10) दुर्गा देवी ध्यान : इसके बाद दोनों हाथ जोड़कर माँ दुर्गा का ध्यान करें और उनका पूजन करें।

नमो  दैव्यै महादेव्यै  शिवायै  सततं  नम:।
नम: प्रकृतयै भद्रायै नियता: प्रणता: स्मताम॥
या  देवी  सर्व  भूतेषु  मातृरूपेण  संस्थिता।
नमस्तस्यै  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

11) गुरु मन्त्र:  इसके मन्त्र विधान/Mantra Vidhan अनुसार बाद पीली हकीक माला  या रुद्राक्ष माला से निम्न तांत्रोक्त गुरु मंत्र की 1 माला जप करें जिससे आपकी साधना और मन्त्र जाप में आपको शीघ्र ही पूर्ण सफलता मिले। इसके बाद साधना विधान अनुसार साधना प्रारंभ करे-

 गुरु मंत्र :                  

ॐ परम तत्वाय नारायण गुरुभ्यों नम:

Rules of Chanting Mantra

Mantra word is Brahma. In fact Mantra is a symbolic and emotional language which is concerned with god and emotions. The chanting counting by rosary is called accomplishment. There are specific rules for chanting a mantra. These are found in Siksha, the text on science of chanting. The various factors involved in chanting, such as pronunciation, intonation, stress are explained in it. The chanting of a mantra, though it involves intonation and rhythm, is different from singing. If the rules of chanting are followed carefully, it will provide providential results. Read more..

मन्त्र जाप के नियम

मंत्र शब्द ही ब्रह्म है। मूल में मंत्र एक सांकेतिक एवं भावनात्मक भाषा है, जिसका सम्बन्ध आपकी भावना एवं ईश्वर से है। जिसका माला आदि से गिनती करके जाप किया जाता है, वह साधना कहलाती हैं। मंत्रों में अपार शक्ति निहित होती है। मन्त्र आपकी हर प्रकार की कामना की पूर्ति आसानी से कर सकते है, पर मंत्र साधना को करने के लिए कुछ नियम है, जिनका यथा संभव पालन करने से मन्त्र पूरी तरह से. Read more..