Rahu Mantra, राहु ग्रह मन्त्र

Rahu Mantra/राहु ग्रह मन्त्र

Rahu Mantra (राहु ग्रह मन्त्र): According to the science of astrology the nine planets determine the course of life for a human. There can be no doubt that heavenly bodies do have an effect on one’s life and even modern science is accepting this fact today. Among these nine planets two planets Rahu and Ketu are called shadow planets because they are not actual planets. This is why their existence can be very confusing for the common man. But still their effect on life is definite. And what more they are natural malefic with very strong influence on the natal chart. Together they also form very negative combination called Kaal Sarp Yoga in which all other planets are placed between these two planets. Rahu (Rahu Mantra) is the master of South–West direction.  The presence of such a combination can make one lead a very ordinary life even though one might be very talented and skilled. This Mahadasha remains for 18 years. राहु ग्रह मन्त्र

Who has to perform Rahu Mantra Sadhana?

The effect of Rahu (Rahu Mantra) can lead to obstruction in life. Where life could have been smooth it is left turbulent and uncertain. They cannot maintain ancestral or self bought properties. They are intelligent, highly educated, well experienced but their lifestyle will remain below expectations. Sudden death of friends, partners, haunting bad luck, lack of recognition will bother them throughout their life. They will lose money in business, speculation, trading etc. Few can be trapped by others into legal issues. To protect oneself from this there are many remedies but Mantra remedy is said to be the best way. By practicing this Sadhana (Rahu Mantra/राहु ग्रह मन्त्र) there will be no side effects but removes the malefic effects of Rahu.

For the reason or other if you are unable to perform this Sadhana (Rahu Mantra), chant the spell 5 rosaries of Blue Hakik rosary or Rudraksha rosary sitting on a blue seat. This will enable to remove the malefic effects of Rahu. It is also observed that after the end of the effects of Rahu, again it restarts sometimes afterwards. So Sadhana is the right way and get it done by a trust worthy Pundit.

Gems of Rahu:

According to gemology for Rahu, Gomedh stone on Silver ring to be hold by the person on any Wednesday on the middle finger of right hand.

Method of Rahu Mantra Sadhana: (राहु ग्रह मन्त्र)

This Sadhana (Rahu Mantra) can be started on any Saturday and Wednesday. This can be done from 7.30 pm to 10.36 pm or during the night. Doing early in the morning is said to be providential. For performing this Sadhak should take bath and wear red or brown dress and sit facing south-west. Keep a wooden stool covered with blue cloth. On the stool place the image of Shiva and pray for the success of the Sadhana. Take a platter and make a U shape with black soot and fill black Kidney bean pulse into the U. Keep the sainted and energized Rahu Yantra on it. Burn the oil lamp and perform the appropriation by water on right palm and chanting the following spell.

Appropriation of Rahu Mantra:

ॐ अस्य श्री राहू मंत्रस्य, ब्रह्मा ऋषि:, पंक्ति छन्द:, राहू देवता, रां बीजं, देश: शक्ति: श्री राहू प्रीत्यर्थे जपे विनियोग:

After the appropriation do the meditation of Guru as follow.

“वन्दे राहुं धूम्र वर्ण अर्धकायं कृतांजलिं। विकृतास्यं रक्त नेत्रं धूम्रालंकार मन्वहम्॥

After the meditation the Sadhak again worship the Rahu Yantra and with the help of black Hakik rosary chant Rahu Gayatri Mantra and Rahu Sattvic Mantra given as under.

Rahu Gayatri Mantra:

॥ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहु: प्रचोदयात

Rahu Sattvic Mantra:

॥ ॐ रां राहवे नम: ॥

Thereafter The Sadhak should chant Rahu Tantrok Mantra daily 23 rosaries for 11 days.

Rahu Tantrok Mantra:

॥ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: ॥

Rahu Hymns: After the chanting recite the Rahu Stotra daily in Hindi or Sanskrit.

राहुर्दानवमंत्री च सिंहिकाचित्तनन्दन:।
अर्धकाय: सदा क्रोधी चन्द्रादित्य विमर्दन: ॥1॥
रौद्रो रूद्रप्रियो दैत्य: स्वर्भानु र्भानुभीतिद:।
ग्रहराज सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुक:॥2॥
कालदृष्टि: कालरूप: श्री कंठह्रदयाश्रय:।
बिधुंतुद: सैंहिकेयो घोररूपो महाबल:॥3॥
ग्रहपीड़ाकरो दंष्टो रक्तनेत्रो महोदर:।
पंचविंशति नामानि स्मृत्वा राहुं सदानर:॥4॥
य: पठेन्महती पीड़ा तस्य नश्यति केवलम्।
आरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं  पशूंस्तथा॥5॥
ददाति राहुस्तस्मै य: पठेत स्तोत्र मुत्तमम्।
सततं पठते यस्तु जीवेद्वर्षशतं नर:॥6॥

Rahu is the minister of demon, gives pleasure to lioness, holding half body, always in the rage and discriminator to gods and moon.॥1॥

By nature arrogant, rude, demon, self born, frightening to Sun, king of the planets, nectar drunken, and fond of moonlight the Rahu.॥2॥

The keeper of mortal sight, taking shelter of Lord Shiva, grabber of moon, son of Siddhika and most powerful planet. ॥3॥

Creating problems for planets, holder of red eyes, a planet of inflated belly, must be worshipped by men in 25 names. ॥4॥

The person who recites this Stotra, he is relieved from all the problems. He receives wellness, food and livestock in abundance.॥5॥

The person who recites this Stotra regularly, he becomes a centurion.॥6॥

End of  Rahu Mantra Sadhana:

Rahu Mantra is an accomplishment of 11 days. During the span of the accomplishment follow the rules of accomplishment thoroughly. Fearlessly with full trust chant the Mantra for 11 days. Prior to the chanting a brief worship is to be done. Keep this Rahu Mantra performance secret. For 11 days the number of spell you have recited, 10% of that number should be chanted while performing Yajna with pepper, five dry fruits, and pure ghee. After the Yajna Circumbulate the Mascot anti clock wise around your head and keep it under any Peepal tree which is in isolation. This Rahu Mantra will be treated as a complete accomplishment. This Rahu Mantra will fulfil your desire very soon. Dosha will be removed completely.

sun mantra

Rahu Mantra/राहु ग्रह मन्त्र

राहु ग्रह मन्त्र (Rahu Mantra): राहु और केतु को छाया ग्रह माना गया है लेकिन कुण्डली में इनका प्रभाव अत्यन्त प्रभावशाली हैं। राहु कन्या राशि का स्वामी है तथा मिथुन राशि में राहु उच्च का और धनु राशि में नीच का होता है। शुक्र ग्रह के साथ यह राजसी सम्बन्ध तथा सूर्य चन्द्रमा के साथ शत्रुवत व्यवहार करता है। इस ग्रह का पैरो पर अधिकार रहता है और यह नैॠत्य दिशा का स्वामी, कृष्ण वर्णीय क्रूर ग्रह है। यह ग्रह जिस भाव में स्थित होता है उस भाव को हानि पंहुचाता है। विंशोत्तरी महादशा के अनुसार इसकी महादशा 18 वर्ष की होती है।

राहु साधना कौन करे?

राहु क्रूर ग्रह है। इस ग्रह (Rahu Mantra) के विपरीत प्रभाव से शारीरिक कष्ट, एक्सीडेंट, कर्जा चढ़ना, पागलपन, कोर्ट केस, झूठी बदनामी, जेल जाना, जलना, नशा करना, बर्बाद होना, मेहनत करने पर सफल न होना, धन हानि, भूमि की लड़ाई, शत्रु से नुकसान, चोरी होना, चोरी करना, पैसे को लेकर लडाई-झगड़ें, दु:ख, चिंता, दुर्भाग्य, पैसा फंसना, समय पर काम न होना, घर में क्लेश बना रहना, लड़की या लडके के चक्करों में पड़ना, पारिवारिक झगड़े, अगर स्त्री हो तो उसकी शादी न होना, अच्छा पति न मिलना, पति का शराब पीना, लड़ाई झगड़े करना, अपनी इच्छा से विवाह करना, घर से भाग जाना, संतान कष्ट, पुत्र प्राप्ति न होना, अपमान, तनाव, आर्थिक तंगी, गरीबी, नौकरी न लगना, प्रमोशन न होना, व्यापार न चलना, बच्चों से नुकसान अर्थात बच्चे का बिगड़ना, शिक्षा प्राप्त न होना, परीक्षा में फेल होना, गुप्त शत्रु होना, मोटापा, गुप्त स्थानों के रोग, जोड़ो में दर्द होना, साँस की समस्या, पेट के रोग, शरीर में मोटापा, बीमारियों पर पैसा खर्चा होना, जीवन में असफलता आदि सब राहु की महादशा, अंतर दशा, गोचर या राहु के अनिष्ट योग होने पर होता है।

यदि आपके जीवन में इस तरह की कोई समस्या आ रही है तो कहीं न कहीं राहु ग्रह (Rahu Mantra) आपको अशुभ फल दे रहा है। राहु ग्रह के अशुभ फल से बचने के लिए अन्य बहुत से उपाय है पर सभी उपायों में मन्त्र का उपाय सबसे अच्छा माना जाता है। इन मंत्रों का कोई नुकसान नहीं होता और इसके माध्यम से राहु ग्रह के अनिष्ट से आसानी से पूर्णता बचा जा सकता है और इसका प्रभाव शीघ्र ही देखने को मिलता है।

किसी कारण वश आप यदि साधना न कर सके तो राहु तांत्रोक्त मन्त्र की नित्य 5 माला मंत्र जाप नीले आसन पर बैठकर नीली हकीक की माला से या रुद्राक्ष माला से जाप करें। तब भी राहु ग्रह का विपरीत प्रभाव शीघ्र समाप्त होने लग जाता है पर ऐसा देखा गया है कि मंत्र जाप छोड़ने के बाद फिर पुन: आपको राहु ग्रह के अनिष्ट प्रभाव देखने को मिल सकते है इसलिए साधना करने का निश्चय करें तो ही अधिक अच्छा है। अगर आप साधना नहीं कर सकते तो किसी योग्य पंडित से भी करवा सकते है।

राहु का रत्न:

रत्न विज्ञान के अनुसार राहु ग्रह का रत्न गोमेद है। बुधवार के दिन शाम को सवा सात रत्ती का गोमेद रत्न दाहिने हाथ की मध्यमा (बीच की अंगुली) अंगुली में चांदी की अंगूठी बनवाकर धारण करना चाहिये।

साधना विधान:

राहु साधना किसी भी शनिवार या बुधवार से प्रारम्भ कर सकते है। यह साधना शाम को (7:30 से 10:36 के बीच) करनी चाहिए। राहु साधना को करने के लिए साधक स्नान आदि से पवित्र होकर नीले रंग के वस्त्र धारण कर लें। नैॠत्य (दक्षिण और पश्चिम के बीच) दिशा की ओर मुख कर बैठ जायें। अपने सामने लकड़ी की चौकी पर नीले रंग का कपड़ा बिछा दें। चौकी पर शिव (गुरु चित्र) चित्र या मूर्ति स्थापित कर मन ही मन शिव जी से साधना में सफलता हेतु आशीर्वाद प्राप्त करें। शिव चित्र के सामने एक थाली रखें। उस थाली के बीच काजल से U बनाये, उस U के बीच साबुत काली उड़द की दाल भर दें। उसके ऊपर प्राण प्रतिष्ठा युक्त “राहु यंत्र’ स्थापित कर दें। यंत्र के सामने शुद्ध तेल का दीपक जलाए फिर संक्षिप्त पूजन कर दाहिने हाथ में पवित्र जल लेकर विनियोग करें –

विनियोग:

ॐ अस्य श्री राहू मंत्रस्य, ब्रह्मा ऋषि:, पंक्ति छन्द:, राहू देवता, रां बीजं, देश: शक्ति: श्री राहू प्रीत्यर्थे जपे विनियोग:

विनियोग के पश्चात् गुरु का ध्यान करें —

वन्दे राहुं धूम्र वर्ण अर्धकायं कृतांजलिंविकृतास्यं रक्त नेत्रं धूम्रालंकार मन्वहम्

ध्यान के पश्चात् साधक एक बार पुन: ‘राहु यंत्र’ का पूजन कर पूर्ण आस्था के साथ ‘काली हक़ीक माला’ से या रुद्राक्ष माला से राहु गायत्री मंत्र की एवं राहु सात्विक मंत्र की एक-एक माला मंत्र जप करें –

राहु गायत्री मंत्र:    

ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहु: प्रचोदयात

राहु सात्विक मंत्र :   

॥ ॐ रां राहवे नम: ॥

इसके बाद साधक राहु तांत्रोक मंत्र की नित्य 23 माला 11 दिन तक जाप करें।

राहु तांत्रोक्त मंत्र :    

॥ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम: ॥

राहु स्तोत्र : नित्य मन्त्र जाप के बाद राहु स्तोत्र का पाठ हिन्दी या संस्कृत में अवश्य करें-

राहुर्दानवमंत्री च सिंहिकाचित्तनन्दन:

अर्धकाय: सदा क्रोधी चन्द्रादित्य विमर्दन: ॥1॥

रौद्रो रूद्रप्रियो दैत्य: स्वर्भानु र्भानुभीतिद:

ग्रहराज सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुक:॥2॥

कालदृष्टि: कालरूप: श्री कंठह्रदयाश्रय:।

 बिधुंतुद: सैंहिकेयो घोररूपो महाबल:॥3॥

ग्रहपीड़ाकरो दंष्टो रक्तनेत्रो महोदर:।

पंचविंशति नामानि स्मृत्वा राहुं सदानर:॥4॥

य: पठेन्महती पीड़ा तस्य नश्यति केवलम्।

आरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं  पशूंस्तथा॥5॥

ददाति राहुस्तस्मै य: पठेत स्तोत्र मुत्तमम्।

सततं पठते यस्तु जीवेद्वर्षशतं नर:॥6॥

राहु स्तोत्र का भावार्थ:

राहु दानव के मन्त्री हैं, सिंहिका के चित को आनन्दित करने वाले हैं, आधे शरीर वाले हैं, हमेशा क्रोधी स्वभाव तथा चन्द्रमा आदि देवताओं का मर्दन करने वाले हैं।॥1॥

रौद्र, रुद्रप्रिय, दैत्य, स्वभ्रनु, सूर्य को भय प्रदान करने वाले, ग्रहों के राजा, अमृत का पान करने वाले, चाँदनी के आतिथ्य की अभिलाषा करने वाले हैं।॥2॥

कालरुपी दृष्टि वाले, कालरूप, श्री कण्ठ के हृदय का आश्रय लेने वाले, चन्द्रमा का भक्षण करने वाले, सिद्धिका के पुत्र, भयानक रूप वाले तथा महाबलशाली हैं।॥3॥

ग्रहों को पीड़ा देने वाले, दंष्ट्रा वाले, लाल नेत्र वाले, विशाल पेट वाले। मनुष्य को इन पच्चीस नामों से राहु का स्मरण करना चाहिये।॥4॥

जो इस स्तोत्र को पढ़ता है उसकी पीड़ा नष्ट हो जाती है। उसे आरोग्य, पुत्र, अतुल लक्ष्मी, धान्य तथा पशु की प्राप्ति होती है।॥5॥

जो मनुष्य निरंतर इस स्तोत्र को पढ़ता है उसे सौ वर्ष की आयु प्राप्त होती है।॥6॥

यह साधना (Rahu Mantra) ग्यारह दिन की है। साधना के बीच साधना नियम का पालन करें। भय रहित होकर पूर्ण आस्था के साथ ग्यारह दिन मंत्र जप करें। नित्य जाप करने से पहले संक्षिप्त पूजन अवश्य करें। साधना के बारे में जानकारी गुप्त रखे। ग्यारह दिन तक मन्त्र का जाप करने के बाद मंत्र का दशांश (10%) या संक्षिप्त हवन करें। हवन के पश्चात् यंत्र को अपने सिर से उल्टा सात बार घुमाकर दक्षिण दिशा में किसी निर्जन स्थान या पीपल के नीचे रख दें। इस तरह से यह साधना (Rahu Mantra) पूर्ण मानी जाती है। धीरे-धीरे राहु अपना अनिष्ट प्रभाव देना कम कर देता है। राहु से संबंधित दोष आपके जीवन से समाप्त हो जाते है।

Rahu Grah Vedic Mantra | राहु ग्रह वैदिक मंत्र