Navagraha Kavach, नवग्रह कवच

Navagraha Kavach/नवग्रह कवच

Navagraha Kavach (नवग्रह कवच): In the Yamal Tantra, the main texts of Tantra Shastra, the description of the Navagraha Kavach, showing a very rare and prompt effect, is to please the Navagraha. It has been said that this Navagraha Kavach is the perfect remedy for the Navagraha to be subjected to it. But the thing to keep in mind is that the text of Navagraha Kavach should be done with full devotion and purity.

The person who recites Navagraha Kavach should stay away from evil, bad thoughts. It is said that Lankapati Ravana and his son Meghnad had received all kinds of achievements through Navagraha Kavach, but they started misusing them so that the effects of Kavach ended. In each particle of this creation, there is the abode of Gods and there is a Navagraha under the Gods.

The effect of the sun, moon and the other new planets is on each variable, live-in nature. That is why the horoscope is determined according to the position of the planets in the sky planets that are born when humans are born. Therefore, the Navagraha Kavach are pleased to solve all the problems of life. In Vedic and Tantra Shastra, many ways have been given to equate the Navagraha equally. They get descriptions of charity, mantra chanting, psalms, Kavach etc.

Let’s know today, about such a rare shell, who’s regular reading is done by the Navagraha and the biggest problems and obstacles in life are eliminated. Regularly devoting daily to it reads the miraculous benefits of life, and Navagraha Kavach is considered to be of all kinds of troubles, enemy obstruction and health benefits.

Navagraha Kavach Benefits:

  • Regular enchanting of this Navagraha Kavach provides wealth and prosperity with longevity.
  • The Navagraha Kavach has the power to bless you with a son.
  • Navagraha Kavach defeats all the enemies and makes you victorious.
  • The Navagraha Kavach provides protection everywhere.

Who has to recite this Navagraha Kavach:

  • The persons who are suffering due to the malefic effects of planets, and being failure time and again for the reason or other should recite Navagraha Kavach regularly.
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नवग्रह कवच/Navagraha Kavach

नवग्रह शांति के लिए नवग्रह कवच का पाठ करे:

9 ग्रह, 12 राशियां, 27 नक्षत्र और इसी शरीर में समाया सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड … ‘यत् पिण्डे तथा ब्रह्माण्डे’ ज्योतिष का सिद्धांत अपने आप में अत्यन्त गहन होते हुए भी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र की इस प्रकार से व्याख्या करता है कि हमें अपने प्राचीन ऋषियों की सूक्ष्मता, विशाल दृष्टि के प्रति नतमस्तक हो ही जाना पड़ता है। जहां एक ओर उन्होंने ज्योतिष के माध्यम से स्पष्ट किया कि किस प्रकार से यह सम्पूर्ण ब्रहमाण्ड इसी लघु काया के अन्दर ही समाहित हैं, वहीं उन्होंने ज्योतिष के माध्यम से जीवन में आने वाली समस्याओं का भी निराकरण प्रस्तुत किया। ज्योतिष शास्त्र मानव शरीर में होने वाले प्रत्येक रोगों का विवेचन पूर्णता से करता ही है।

मानव शरीर में ही सभी ग्रह, नक्षत्र, राशि एवं लोक इत्यादि स्थित हैं और ग्रह चिकित्सा को पूर्ण रूप से समझने के पूर्व यह जान लेना रोचक होगा कि शरीर के किस अंग में कौन सा ग्रह, राशि, नक्षत्र स्थित है। इस प्रकार इनके समान्वित प्रभाव से शरीर के विभिन्न अंगों में उत्पन्न होने वाले रोगों को भी जाना जा सकता है, शरीर की क्रियाओं को तीव्रमान भी किया जा सकता है, उदाहरण स्वरूप सूर्य की स्थिति नाभि चक्र में, चन्द्रमा बिन्दु चक्र में, मंगल नेत्र में, बुध हृदय में, गुरु उदर में, शुक्र वीर्य में, शनि नाभि में, राहु मुख में एवं केतु का स्थान दोनों हाथ एवं पैरों में, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माना गया है। इसी प्रकार सभी 12 राशियों एवं नक्षत्रों (Navagraha Kavach) की भी शरीर में स्थिति निर्धारित की गई है।

गोचर में जब ग्रह नक्षत्र अपना प्रभाव दिखाते हैं तो शरीर के उस अंग विशेष पर प्रभाव पड़ता ही है। ग्रहों के सम्बन्ध में यदि विस्तार से विवेचना करें तो यह इतना जटिल विधान है कि सामान्यत: कुछ एक पन्नों में वर्णित किया ही नहीं जा सकता, लेकिन व्यक्ति अपने जीवन के प्रत्येक क्षण में किसी न किसी ग्रह से ग्रसित अथवा न्यूनाधिक रूप से पीड़ित होता ही है और फिर वह निर्णय नहीं कर पाता कि वह किस ग्रह की शांति (Navagraha Kavach) करे अथवा किस ग्रह की उपासना करे, अपने आप को निरोग करें और फिर ऐसे में ज्योतिषियों के पास चक्कर काटने की बाध्यता हो जाती है।

इसका एक सरल उपाय तंत्रोक्त नवग्रह (Navagraha Kavach) निवारण प्रयोग है, जिसके द्वारा व्यक्ति, नव ग्रहों (Navagraha Kavach) की संयुक्त पूजन कर अपने जीवन में सम्पूर्ण रूप से अनुकूलता प्राप्त कर सकता है और उसे एक-एक ग्रह की अलग-अलग पूजा विधान समझाने की आवश्यकता नहीं रहती। इस नवग्रह कवच (Navagraha Kavach) का पाठ करने से दरिद्रता दूर होती है, अशुभ ग्रहों की बाधा शांत होने से शुभ ग्रह अपना प्रभाव देते हैं, जिससे विपत्तियों का नाश होता है और समस्त सुखों की प्राप्ति होती है।

श्री गणेशाय नम:

विनियोग: सीधे हाथ में जल लेकर विनियोग  करे-

ॐ अस्य जगन्मंगल-कारक ग्रह- कवचस्य श्री भैरव ऋषि: अनुष्टुप छन्द: श्री सूर्यादि-ग्रहा: देवता: सर्व-कामार्थ-संसिद्धयै पठै विनियोग

तंत्रोक्त नवग्रह कवच:

ॐ ह्रीं ह्रीं सौ:में शिर: पातु श्रीसूर्य ग्रह-पति:
ॐ घौं सौं औं मे मुखं पातु श्री चन्द्रो ग्रहराजक:
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रां स: करौ पातु ग्रह-सेनापति: कुज: पायादथ
ॐ ह्रौं ह्रौं सौं: पदौज्ञो नृपबालक:
ॐ त्रौं त्रौं त्रौं स: कटिं पातु पातुपायादमर- पूजित:
ॐ ह्रों ह्रीं सौ: दैत्य-पूज्यो हृदयं परिरक्षतु
ॐ शौं शौं स: पातु नाभिं में ग्रह प्रेष्यं शनैश्चर:
ॐ छौं छौं स: कण्ठ देशं श्री राहुदेव मर्दक:
ॐ फौं फां फौं स: शिखो पातु सर्वांगमभितोवतु
ग्रहाशतचैते भोग देहा नित्यास्तु स्फुटित- ग्रहा:
एतदशांश – सम्भूता: पान्तु नित्यं तु दुर्जनात्
अक्षयं कवचं पुण्यं सूर्यादि-ग्रह-देवतम्
पठेद्वा पाठयेद् वापि धारयेद् यो जन: शुचि:
स सिद्धिं प्रप्युयादिष्टां दुर्लभां त्रिदशैसतु याम्
तव स्नेहवशादुक्तं जगमंगल कारकम्
ग्रहयन्त्रान्वितंकृत्वाभीष्टमक्षयमाप्नुयात
नवग्रह कवच सम्पूर्णं

Navagraha kavach/नवग्रह कवच विशेष:

नवग्रह कवच के साथ-साथ यदि नवग्रह पूजा यंत्र, नवग्रह यंत्र की पूजा की जाए तो, नवग्रह कवच का बहुत लाभ मिलता है, और कुण्डली में गलत ग्रह के प्रभावों से भी छुटकारा मिलता है| मनोवांछित कामना पूर्ण होती है, यह यंत्र शीघ्र ही फल देने लग जाता है, जो सभी नौ ग्रहों का लाभ पाना चाहते है उन्हें श्री नवग्रह यंत्र की पूजा करनी चाहिए| तन्त्र दोष, पितृ दोष, ग्रह दोष को शांत करने के लिए नवग्रह शांति यन्त्र धारण करना चाहिए| घर में सुख-शांति का वातावरण बनाये रखने के लिए और घर को सुरक्षित रखने के लिए नवग्रह शांति गुटिका की रोज़ पूजा करनी चाहिए|