Narsingh Kavach, नृसिंह कवच

Narasimha Kavach | नृसिंह कवच

Narsingh Kavach (नृसिंह कवच): Among all the incarnations of Lord Vishnu, Narasimha incarnation is very fierce and frightening. Just by remembering him, there is a flash of electricity sparks in the body and all kinds of negative energy starts fading away. Evil powers like Ghosts, Devils etc. runaway just by hearing the name of Lord Narasimha. Narasimha Kavach is the form of Lord Narasimha, it is like a shield, by reciting this Kavach, Lord Narasimha protects in all ways.

Many times, we see that some people suffer from Phantom obstruction, Tantra obstruction, Nazar Dosh. To get rid of such pain, we go to many Tantrik, Mantrik and exorcists, yet we do not get any benefit. To overcome such a situation, reciting Narasimha Kavach is very beneficial.

If you are going to any competition, or are going to give any big exam, and you are afraid that you may get failure, then still you should recite Narasimha Kavach at your home and then see success will kiss your feet.

Narasimha Kavach Reciting Method:

Recite Narasimha Kavach on any Thursday, between morning time (4:30-6:00am) or night time (9:15-10:30pm), at a time when your mind is calm from within. Sitting on a Woollen seat, facing east or south, place the idol or picture of Lord Narasimha in front of you, light a lamp of pure ghee in front of the Lord and wear Narasimha Gutika around your neck, pray to your Guru, ancestors, Ishta and God. Pray to Narasimha for complete success in your work. While saying the wish, offer any yellow flower at the feet of Lord Narasimha, apply vermilion on his feet, then apply that Tilak on your forehead and viniyog to Narasimha with water in your hand. Use the Kavach, after using it, leave the water on the ground.

Keeping your hands straight on your head, recite Narasimha Kavach in a loud voice and recite 9 rosaries for 21 days. By doing this, Lord Narasimha protects you from all evils, all types of planetary troubles, system defects, enemies, provides protection from ghosts, pain, etc.

Narasimha Kavach Benefits:

  • Narasimha Kavach removes all the defects of Navagraha, Kalsarp Dosh, Pitra Dosh, Daridra Dosh, Mangalik Dosh etc.
  • One gets freedom from obstacles like ghosts etc., negative powers are destroyed.
    All the wishes of man are fulfilled.
  • With Narasimha Kavach, students definitely get success in examinations.
  • Reciting 5 rosaries daily opens the door for a childless person to have a child.
  • Reciting 11 rosaries of Narasimha Kavach for 21 days helps in achieving success in government work.
  • If there is any fear in home, shop or office, all kinds of disturbances subside.
  • Tantra defects like Maran, Mohan, Ucchatan etc. done by the enemy on a person wearing armour, do not work at all.
  • If bad cases like ED, CBI, CID are registered, then definitely recite Narasimha Kavach.
  • Its recitation leads to victory in elections and social respect.

नृसिंह कवच | Narsingh Kavach

विष्णु भगवान के सभी अवतारों में नृसिंह अवतार बहुत ही उग्र और भयावह माना गया है। उनके स्मरण मात्र से ही शरीर में बिजली सी कौंध जाती है, सभी प्रकार की नकारात्मक उर्जा दूर होने लगती है। भुत-प्रेत, पिशाच आदि दुष्ट शक्तियां भगवान नृसिंह का नाम सुनने मात्र से ही भाग जाती हैं। नृसिंह कवच भगवान नृसिंह कवच का ही स्वरुप है, यह एक ढाल की तरह होता है, इस कवच का पाठ करने से, भगवान नृसिंह सभी प्रकार से रक्षा करते है।

कई बार देखा गया है, कि कुछ लोगों को प्रेत बाधा, तंत्र बाधा, नज़र दोष हो जाता है। ऐसी पीड़ा को दूर करने के लिए हम कई तांत्रिक, मान्त्रिक, और ओझाओं के पास जाते है, फिर भी हमें लाभ नही मिलता। ऐसी स्तिथि को दूर करने की लिए नृसिंह कवच का पाठ करना बहुत ही लाभदायक माना गया है।

यदि किसी प्रतियोगिता में जा रहे है, या किसी बड़ी परीक्षा देने जा रहे है, और आपको भय है कि कही मुझे असफलता न प्राप्त हो, तब भी आप नृसिंह कवच पाठ करकें अपने घर से जाए और देखें सफलता आपके कदम चूमेगी।

नृसिंह कवच पाठ विधि:

नृसिंह कवच का पाठ किसी भी गुरुवार के दिन, सुबह के समय (4:30-6:00am) या रात के समय (9:15-10:30Pm) के बीच, जिस समय आपका मन अंदर से शांत हो, उस समय पीले ऊनी आसन पर, पूर्व या दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके बैठे, अपने समाने नृसिंह भगवान की मूर्ति या चित्र स्थापित करें, भगवान के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाये और अपने गले में नृसिंह गुटिका धारण करकें, अपने गुरु, पितृ, इष्ट ओर भगवान नृसिंह से, अपने कार्य में पूर्ण सफलता के लिए प्रार्थना करें, कामना बोलते हुए नृसिंह भगवान के चरणों में कोई भी पीले पुष्प चढायें, उनके चरणों में सिंदूर से टीका लगायें, उस टीके को फिर अपने मस्तक पर लगाकर, सीधे हाथ में जल लेकर नृसिंह कवच का विनयोग करें, विनियोग के बाद जल भूमि पर छोड़ दे।

इसके अपने सर पर सीधा हाथ रख कर, नृसिंह कवच को उच्च स्वर में बोलते हुए, 9 माला पाठ 21 दिन तक करें, ऐसा करने से, भगवान नृसिंह सभी दृष्टियों से रक्षा करते है, समस्त प्रकार के ग्रह पीड़ा, तंत्र दोष, शत्रु, भुत-प्रेत पीड़ा, आदि से रक्षा होती है।

नृसिंह कवच के लाभ:

  • नृसिंह कवच से सभी नवग्रह का दोष, कालसर्प दोष, पितृ दोष, दारिद्र दोष, मांगलिक दोष आदि समाप्त होते है।
  • भूत-प्रेत आदि बाधाओं से मुक्ति मिलती है, नकारात्मक शक्तिओं का नाश हो जाता है।
  • मनुष्य की सभी मनोकामना सिद्ध होती है।
  • नृसिंह कवच से विद्द्यार्थियों को परीक्षा में निश्चित ही सफलता मिलती है।
  • 5 माला पाठ नित्य करने से नि:सन्तान को सन्तान प्राप्ति के द्वार खुल जाते है।
  • नृसिंह कवच के 11 माला पाठ 21 दिन तक करने से सरकारी कामो में सफलता प्राप्त होती है।
  • घर, दुकान या ऑफिस में कोई भय हो तो, सभी प्रकार के उपद्रव शांत हो जाते है।
  • कवच पहने हुए व्यक्ति के उपर शत्रु के द्वारा किये हुए मारण, मोहन, उच्चाटन आदि तंत्र दोष कार्य ही नही करते।
  • ईडी, सीबीआई, सीआईडी जैसे यदि बुरे केस लग जाते तो, अवश्य ही नृसिंह कवच का पाठ करें।
  • इसके पाठ से चुनाव में विजय प्राप्त होती है, सामाजिक सम्मान प्राप्त होता है।

नृसिंह कवच | Narsingh Kavach

विनयोग: सीधे हाथ में जल लेकर पढ़े।

अस्य श्रीलक्ष्मीनृसिंह कवच महामंत्रस्य ब्रह्माऋिषः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीनृसिंहोदेवता, क्षौ बीजम्, रौं शक्तिः, ऐं क्लीं कीलकम्, मम सर्वरोग, शत्रु, चौर, पन्नग, व्याघ्र, वृश्चिक, भूतप्रेत, पिशाच, डाकिनीशाकिनी, यन्त्र मंत्रादि, सर्व विघ्न निवाराणार्थे श्री नृसिहं कवच महामंत्र जपे विनयोगः। जल भूमि पर छोड़ दें।

अथ ऋष्यादिन्यास:

ब्रह्माऋषये नमः शिरसि।
अनुष्टुप् छन्दसे नमो मुखे।
श्रीलक्ष्मी नृसिंह देवताये नमो हृदये।
क्षौं बीजाय नमोनाभ्याम्।
शक्तये नमः कटिदेशे।
ऐं क्लीं कीलकाय नमः पादयोः।
श्रीनृसिंह कवचमहामंत्र जपे विनयोगाय नमः सर्वाङ्गे॥

अथ करन्यास:

क्षौं अगुष्ठाभ्यां नमः।
प्रौं तर्जनीभ्यां नमः।
ह्रौं मध्यमाभयां नमः।
रौं अनामिकाभ्यां नमः।
ब्रौं कनिष्ठिकाभ्यां नमः।
जौं करतलकर पृष्ठाभ्यां नमः।

अथ हृदयादिन्यास:

क्षौ हृदयाय नमः।
प्रौं शिरसे स्वाहा।
ह्रौं शिखायै वषट्।
रौं कवचाय हुम्।
ब्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्।
जौं अस्त्राय फट्।

नृसिंह ध्यान:

सत्यं ज्ञान सुखस्वरूप ममलं क्षीराब्धि मध्ये स्थित्।
योगारूढमति प्रसन्नवदनं भूषा सहस्रोज्वलम्।

तीक्ष्णं चक्र पीनाक शायकवरान् विभ्राणमर्कच्छवि।
छत्रि भूतफणिन्द्रमिन्दुधवलं लक्ष्मी नृसिंह भजे॥

कवच पाठ

नमोनृसिंहाय सर्व दुष्ट विनाशनाय सर्वंजन मोहनाय सर्वराज्यवश्यं कुरु कुरु स्वाहा।

नमो नृसिंहाय नृसिंहराजाय नरकेशाय नमो नमस्ते।

नमः कालाय काल द्रष्ट्राय कराल वदनाय च।

उग्राय उग्र वीराय उग्र विकटाय उग्र वज्राय वज्र देहिने रुद्राय रुद्र घोराय भद्राय भद्रकारिणे ज्रीं ह्रीं नृसिंहाय नमः स्वाहा !!

नमो नृसिंहाय कपिलाय कपिल जटाय अमोघवाचाय सत्यं सत्यं व्रतं महोग्र प्रचण्ड रुपाय।

ह्रां ह्रीं ह्रौं ह्रुं ह्रुं ह्रुं क्ष्रां क्ष्रीं क्ष्रौं फट् स्वाहा।

नमो नृसिंहाय कपिल जटाय ममः सर्व रोगान् बन्ध बन्ध, सर्व ग्रहान बन्ध बन्ध, सर्व दोषादीनां बन्ध बन्ध, सर्व वृश्चिकादिनां विषं बन्ध बन्ध, सर्व भूत प्रेत, पिशाच, डाकिनी शाकिनी, यंत्र मंत्रादीन् बन्ध बन्ध, कीलय कीलय चूर्णय चूर्णय, मर्दय मर्दय, ऐं ऐं एहि एहि, मम येये विरोधिन्स्तान् सर्वान् सर्वतो हन हन, दह दह, मथ मथ, पच पच, चक्रेण, गदा, वज्रेण भष्मी कुरु कुरु स्वाहा।

क्लीं श्रीं ह्रीं ह्रीं क्ष्रीं क्ष्रीं क्ष्रौं नृसिंहाय नमः स्वाहा।

आं ह्रीं क्ष्रौं क्रौं ह्रुं फट्।

नमो भगवते सुदर्शन नृसिंहाय मम विजय रुपे कार्ये ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल असाध्यमेनकार्य शीघ्रं साधय साधय एनं सर्व प्रतिबन्धकेभ्यः सर्वतो रक्ष रक्ष हुं फट् स्वाहा।

क्षौं नमो भगवते नृसिंहाय एतद्दोषं प्रचण्ड चक्रेण जहि जहि स्वाहा।

नमो भगवते महानृसिंहाय कराल वदन दंष्ट्राय मम विघ्नान् पच पच स्वाहा।

नमो नृसिंहाय हिरण्यकश्यप वक्षस्थल विदारणाय त्रिभुवन व्यापकाय भूतप्रेत पिशाच डाकिनीशाकिनी कालनोन्मूलनाय मम शरीरं स्तम्भोद्भव समस्त दोषान् हन हन, शर शर, चल चल, कम्पय कम्पय, मथ मथ, हुं फट् ठः ठः।

नमो भगवते भो भो सुदर्शन नृसिंह आं ह्रीं क्रौं क्ष्रौं हुं फट्।

सहस्त्रार मम अंग वर्तमान ममुक रोगं दारय दारय दुरितं हन हन पापं मथ मथ आरोग्यं कुरु कुरु ह्रां ह्रीं ह्रुं ह्रैं ह्रौं ह्रुं ह्रुं फट् मम शत्रु हन हन द्विष द्विष तद पचयं कुरु कुरु मम सर्वार्थं साधय साधय।

नमो भगवते नृसिंहाय क्ष्रौं क्रौं आं ह्रीं क्लीं श्रीं रां स्फ्रें ब्लुं यं रं लं वं षं स्त्रां हुं फट् स्वाहा।

नमः भगवते नृसिंहाय नमस्तेजस्तेजसे अविराभिर्भव वज्रनख वज्रदंष्ट्र कर्माशयान् रंधय रंधय तमो ग्रस ग्रस स्वाहा।

अभयमभयात्मनि भूयिष्ठाः क्षौम्।

नमो भगवते तुभ्य पुरुषाय महात्मने हरिंऽद्भुत सिंहाय ब्रह्मणे परमात्मने।

उग्रं उग्रं महाविष्णुं सकलाधारं सर्वतोमुखम्।

नृसिंह भीषणं भद्रं मृत्युं मृत्युं नमाम्यहम्।

।। इति नृसिंह कवच ।।

Narsingh Kavach | नृसिंह कवच विशेष:

नृसिंह कवच के साथ-साथ यदि बगला दिग्बन्धन रक्षा स्तोत्र का पाठ किया जाए तो, नृसिंह कवच का बहुत लाभ मिलता है, यह स्तोत्र शीघ्र ही फल देने लग जाता है। नारायणास्त्र कवच का पाठ करने से मनोवांछित कामना पूर्ण होती है। शत्रुओ और नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए नृसिंह यंत्र और सिद्ध नृसिंह यंत्र की पूजा करनी चाहिए। अपनी सभी इच्छाओ को पूरा करने के लिए नृसिंह यंत्र कवच धारण करना चाहिए।अपने जीवन सुख, शांति, समृधि रखने के लिए लक्ष्मी कवच का पाठ करना चाहिए। ज्योतिषी से सम्बंधित ज्ञान प्राप्त करने के लिए ज्योतिष सर्व संग्रह पुस्तक पढनी चाहिए।