Mars Mantra, मंगल ग्रह मन्त्र

Mars Mantra | मंगल ग्रह मन्त्र

Mars Mantra/मंगल ग्रह मन्त्र: Mars Sadhana is dedicated to planet Mars. Grah Shanti sadhana from money owed, poverty and skin problems. Here is normally a listing of issues related to Mangal (Mars). In Vedic Astrology, Mars is commonly often called Mangal. The constellations of it are Mrigshira, Chitra and Ghanistha. It keeps its sight up to 4th, 7th and 8th place. Its Mahadasha remains for 7 years.

Majustifyngal sadhana or Mars sadhana is dedicated to planet Mars. Grah Shanti sadhana from money owed, poverty and skin problems. Here is normally a listing of issues related to Mangal (Mars). In Vedic Astrology, Mars is commonly often called Mangal, Angaraka, and Kuja. The Mars is normally a malefic planet. Nature of Mars is fiery. As a Bhagwan, Mars is commonly described with a red physique exemplifying the natural colour of the astronomical physique in the sky.

Who will do Mangal Sadhana?

Sadhana is carried out to appease the planet Mars. Mangal sadhana is amazingly helpful & helpful, because it strengthens and will increase the constructive affect and neutralizes the unfavorable effects of Mangal. Mangal sadhana is really helpful for these having malefic Mars or wrongly positioned Mars as per the Kundali. Chanting of the next mars mantra on Tuesdays going through south helps to get the blessings of Mangal. Sadhana is carried out to appease the planet Mars. If you have any secret enemy, having throat problem, sex diseases, obesity and unsuccessful life, it means Mars is not Favorable.

If you have any as such problems it means that Mars is giving some malefic effects. There are many ways to protect from malefic effects of Mars but Sadhana is the best way. It has no side effects and completely eradicates the problem. The result starts coming early. If you are unable to perform the Sadhana, chant the Tantrokta spell 5 rosaries daily by sitting on a red seat, by Coral rosary or Rudraksha rosary. The malefic effects of Mars start reducing but after the completion if it starts again, go for the Sadhana. You can hire a trustworthy Pundit to perform this.

Gem for Mars:

According to gemology, the gem of Mars is Coral. On Tuesday early in the morning, hold a 7 and quarter whit of Coral on gold or copper ring on right hand finger.

Method of Mars Sadhana:

Mars Sadhana can be started on Guru Pushya Yog or from any Tuesday. It can be started early in the morning from 4.24 am to 6.00 or at 11.30 am to 12.36 but it is better to start at early in the morning. The Sadhak should take bath early in the morning and wear red dress. Sit on a mat facing south. Keep a wooden stool covered with red cloth before you and place an image of Shiva on it and pray to Lord Shiva for the success of the accomplishment. Put a platter on the stool and make a symbol of triangle with vermillion and fill the place with Red Masoor pulse and on it put the energized and sainted Mangal Yantra on it. Burn the lamp of ghee and do a brief worship. Thereafter take water on the right palm and perform the appropriation.

Appropriation:

ॐ अस्य श्रीभौम मंत्रस्य गर्गऋषि:, मङगलोदेवता, त्रिष्टुप्छ्न्द:, ऋणापहरणे जपेविनियोग:

After the appropriation meditate for the Mars as follow.

रत्नाष्टा पदवस्त्र राशिममलं दक्षात्किरंतं।
करा- दासीनं विपणौ करं निदधतं रत्नादिराशौ परम् ॥
पीता लेपन पुष्प वस्त्र मखिलालंकार संभूषितम्।
विद्या सागरपारगं सुरगुरुं वंदे सुवर्णप्रभम् ॥

After the meditation, the Sadhak should worship again the Mangal Yantra with full trust and devotion and chant with red Coral rosary the Mangal Gayatri Mantra and Mangal Sattvic Mantra one rosary each.

Mangal Gayatri Mantra:

॥ ॐ अङगरकाय विद्महे शक्ति हस्ताय धीमहि तन्नो भौम: प्रचोदयात् ॥

Mangal Sattvic Mantra:

॥ ॐ अं अंगारकाय नम: ॥

Thereafter chant the Mangal Tantrokta Mantra daily for23 rosaries for 11 days.

Mangal Tantrokta Mantra:

॥ ॐ क्रां क्रों क्रौं स: भौमाय नम: ॥

Mangal Stotra: After the daily chanting, recite the Mangal Stotra in Hindi or Sanskrit.

रक्ताम्बरो रक्तवपुः किरीटी चतुर्मुखो मेघगदी गदाधृक ।
धरासुत: शक्तिधरश्र्वशूली सदा मम स्याद्वरद: प्रशान्त: ॥1॥
ॐ मङगलो भूमिपुत्रश्र्व ऋणहर्ता धनप्रद:
स्थिरात्मज: महाकाय: सर्वकामार्थसाधक: ॥2॥
लोहितो लोहिताङगश्र्व सामगानां कृपाकर: ।
धरात्मज: कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दन: ॥3।
अङगारकोतिबलवानपि यो ग्रहाणं स्वेदोद्धवस्त्रिनयनस्य पिनाकपाणे: ।
आरक्त चन्दनसुशीतलवारिणा योप्यभ्यचितोऽथ विपलां प्रददाति सिद्धिम ॥4॥
भौमो धरात्मज इति प्रथितः पृथिव्यां दु:खापहो दुरितशोकसमस्तहर्ता ।
नृणामृणं हरति तान्धनिन: प्रकुर्याद्द: पूजित: सकलमंगलवासरेषु ॥5॥
एकेन हस्तेन गदां विभर्ति त्रिशूलमन्येन ऋजुकमेण ।
शक्तिं सदान्येन वरं ददाति चतुर्भुजी मङगलमादधातु ॥6॥
यो मङगलमादधाति मध्यग्रहो यच्छति वांछितार्थम्।
धर्मार्थकामदिसुखं प्रभुत्वं कलत्र पुत्रैर्न कदा वियोग: ॥7॥
कनकमयशरीरतेजसा दुर्निरीक्ष्यो हुतवह समकान्तिर्मालवे लब्धजन्मा ।
अवनिजतनमेषु श्रूयते य: पुराणो दिशतु मम विभूतिं भूमिज: सप्रभाव: ॥8॥

The Meaning of Stotra:

  • Red dressed, with red body, crowned, with four hands, holding the Mace, son of the land, powerful, holding trident, calm, O lord Mars, please bless me. ॥1॥
  • Doing welfare, the son of land, removing the debts, wealth giver and stable, with huge body, helping hand for success, O lord Mars, I salute you. ॥2॥
  • Red in colour, fond of colour red, the giver of blessings to musicians, with curved feature, giver of wealth, O Mars, I bow to you. ॥3॥
  • Fast as fire, powerful, born of the movement of Lord Shiva, poured with cold water and red sandalwood, the donor of excessive success, I salute you. ॥4॥
  • As a son of land and famous as destroyer, remover of problems, remover of sufferings due to committed sins, who is worshipped in all the providential work, O Mars, I salute you. ॥5॥
  • O Lord, Mace in one hand, trident in another, power in the third and fourth on the posture for blessings. O mars I salute you. ॥6॥
  • Lord Mangal, who do welfare for the devotees, fulfil the desires, provider of Dharma, Artha, Kaam and Salvation (Moksha), the lord who keep everyone combined with harmony, ॥7॥
  • You can hardly be seen due to shinning rays, having lustred, born of land, famous as land of son, powerful O lord mars give me wealth. ॥8॥

End of Mars Mantra Sadhna:

It is an accomplishment of 11 days. During the span of the accomplishment follow the rules of accomplishment thoroughly. Fearlessly with full trust chant the Mars Mantra for 11 days. Prior to the chanting a brief worship is to be done. Keep this Mars Mantra performance secret. For 11 days the number of spell you have recited, 10% of that number should be chanted while performing Yajna with pepper, five dry fruits, and pure ghee. After the Yajna donate the Mascot in any Shiva Temple and other materials throw in flowing water. This Mars Mantra will be treated as a complete accomplishment. This Mars Mantra will fulfil your desire very soon. Dosha will be removed completely.

sun mantra

मंगल ग्रह मन्त्र | Mars Mantra

मंगल दक्षिण दिशा का स्वामी है। रक्त वर्ण, अग्नि तत्व प्रधान, पुरुष जाति का ग्रह है और यह सूर्य की एक पूर्ण परिक्रमा 687 दिनों में करता है। यह एक राशि पर करीब डेढ़ मास तक रहता है। यह मेष तथा वृश्चिक राशि का स्वामी है। उसमें भी वृश्चिक राशि पर विशेष बली माना जाता है। मकर राशि में मंगल उच्च का तथा कर्क राशि में नीच हो जाता है। इसके नक्षत्र मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा है। सिंह, धनु, मीन इसकी मित्र राशियाँ है तथा कन्या एवं मिथुन इसकी शत्रु राशियाँ है। यह अपने स्थान से चौथे, सातवें और आठवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है, इसकी महादशा 7 वर्ष की होती है

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस ग्रह से ईमानदारी, अधिकारिक भावना, मानसिक आघात, बड़े भाई का सुख, गरीबी, चालाकी आदि का अध्ययन किया जाता है। इसके अलावा भूमि, जायदाद, कृषि, कला, धोखाधड़ी, कपट व्यवहार इत्यादि का अध्ययन भी इसी ग्रह से किया जाता है। यह धैर्य और पराक्रम का स्वामी ग्रह है। मनुष्य का अपने भाई बहनों के साथ कैसा व्यवहार रहता है इसकी जानकारी इसी ग्रह से की जाती है।

मंगल साधना कौन करे?

मंगल ग्रह को प्रसन्न करने के लिए साधना की जाती है। मंगल साधना आश्चर्यजनक रूप से उपयोगी और उपयोगी है, क्योंकि यह सकारात्मक प्रभाव को मजबूत करती है और बढ़ाती है तथा मंगल के प्रतिकूल प्रभावों को निष्क्रिय कर देती है। मंगल साधना उन लोगों के लिए वास्तव में उपयोगी है जिनका मंगल खराब है या कुंडली के अनुसार मंगल गलत स्थिति में है। अगले मंगल मंत्र का जाप मंगलवार को दक्षिण दिशा में करते हुए करने से मंगल की कृपा प्राप्त होती है। मंगल ग्रह को प्रसन्न करने के लिए साधना की जाती है। यदि आपका कोई गुप्त शत्रु है, गले की समस्या, यौन रोग, मोटापा और असफल जीवन है तो इसका मतलब है कि मंगल अनुकूल नहीं है।

यदि आपके जीवन में इस तरह की कोई समस्या आ रही है तो कहीं न कहीं मंगल ग्रह आपको अशुभ फल दे रहा है। मंगल ग्रह के अशुभ फल से बचने के लिए अन्य बहुत से उपाय है पर सभी उपायों में मन्त्र का उपाय सबसे अच्छा माना जाता है। इन मंत्रों का कोई नुकसान नहीं होता और इसके माध्यम से मंगल ग्रह के अनिष्ट से आसानी से पूर्णता बचा जा सकता है। इसका प्रभाव शीघ्र ही देखने को मिलता है।

किसी कारण वश आप यदि साधना न कर सके तो मंगल तांत्रोक्त मन्त्र की नित्य 5 माला लाल आसन पर बैठ कर मूंगे की माला से या रुद्राक्ष माला से जाप करें। तब भी मंगल घर का विपरीत प्रभाव शीघ्र समाप्त होने लग जाता है पर ऐसा देखा गया है कि मंत्र जाप छोड़ने के बाद फिर पुन: आपको मंगल ग्रह  के अनिष्ट प्रभाव देखने को मिल सकते है इसलिए साधना करने का निश्चय करें तो ही अधिक अच्छा है। अगर आप साधना नहीं कर सकते तो किसी योग्य पंडित से करवा भी सकते है।

मंगल का रत्न:

रत्न विज्ञान के अनुसार मंगल ग्रह का रत्न मूंगा है। मंगलवार के दिन प्रातः काल सवा सात रत्ती का त्रिकोण मूंगा रत्न दाहिने हाथ की अनामिका (रिंगफिंगर) अंगुली में सोने या ताम्बे की अंगूठी में बनवाकर धारण करना चाहिये।

मंगल साधना विधान:

मंगल साधना गुरु पुष्य योग या किसी भी मंगल से प्रारम्भ कर सकते है। यह साधना प्रातः ब्रह्म मुहूर्त (4:24 से 6:00 बजे तक) या दिन में (11:30 से 12:36 के बीच) कर सकते है पर इस साधना को प्रातः करना ज्यादा अच्छा माना जाता है। इस साधना को करने के लिए साधक स्नान आदि से पवित्र होकर लाल रंग के वस्त्र धारण कर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर बैठ जायें। अपने सामने लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछा दें। चौकी पर शिव (गुरु चित्र) चित्र या मूर्ति स्थापित कर मन ही मन शिव जी से साधना में सफलता हेतु आशीर्वाद प्राप्त करें।

शिव चित्र के सामने एक थाली रखें, उस थाली के बीच रोली से त्रिकोण बनाये, उस त्रिकोण में लाल मसूर की दाल भर दें। उसके ऊपर प्राण प्रतिष्ठा युक्त “मंगल यंत्र” स्थापित कर दें। यंत्र के सामने दीपक शुद्ध घी का जलाये फिर संक्षिप्त पूजन कर दाहिने हाथ में पवित्र जल लेकर विनियोग करें –

विनियोग:

ॐ अस्य श्रीभौम मंत्रस्य गर्गऋषि:, मङगलोदेवता, त्रिष्टुप्छ्न्द:, ऋणापहरणे जपेविनियोग:

विनियोग के पश्चात् गुरु का ध्यान करें—

रत्नाष्टा पदवस्त्र राशिममलं दक्षात्किरंतं।

करा- दासीनं विपणौ करं निदधतं रत्नादिराशौ परम् ॥

पीता लेपन पुष्प वस्त्र मखिलालंकार संभूषितम्।

विद्या सागरपारगं सुरगुरुं वंदे सुवर्णप्रभम् ॥

ध्यान के पश्चात् साधक एक बार पुन: ‘मंगल यंत्र’ का पूजन कर, पूर्ण आस्था के साथ ‘लाल मूंगा माला’ से मंगल गायत्री मंत्र की एवं मंगल सात्विक मंत्र की एक-एक माला मंत्र जप करें-

मंगल गायत्री मंत्र:  

॥ ॐ अङगरकाय विद्महे शक्ति हस्ताय धीमहि तन्नो भौम: प्रचोदयात् ॥

मंगल सात्विक मंत्र:

॥ ॐ अं अंगारकाय नम: ॥

इसके बाद साधक मंगल तांत्रोक मंत्र की नित्य 23 माला 11 दिन तक जाप करे।

मंगल तांत्रोक्त मंत्र:

॥ ॐ क्रां क्रों क्रौं स: भौमाय नम: ॥

मंगल स्तोत्र: नित्य मन्त्र जाप के बाद मंगल स्त्रोत का पाठ हिन्दी या संस्कृत में अवश्य करें-

रक्ताम्बरो रक्तवपुः किरीटी चतुर्मुखो मेघगदी गदाधृक ।

धरासुत: शक्तिधरश्र्वशूली सदा मम स्याद्वरद: । प्रशान्त: ॥1

ॐ मङगलो भूमिपुत्रश्र्व ऋणहर्ता धनप्रद:

स्थिरात्मज: महाकाय: सर्वकामार्थसाधक: ॥2

लोहितो लोहिताङगश्र्व सामगानां कृपाकर: ।

धरात्मज: कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दन: ॥3

अङगारकोतिबलवानपि यो ग्रहाणं स्वेदोद्धवस्त्रिनयनस्य पिनाकपाणे: ।

आरक्त चन्दनसुशीतलवारिणा योप्यभ्यचितोऽथ विपलां प्रददाति सिद्धिम ॥4

भौमो धरात्मज इति प्रथितः पृथिव्यां दु:खापहो दुरितशोकसमस्तहर्ता ।

नृणामृणं हरति तान्धनिन: प्रकुर्याद्द: पूजित: सकलमंगलवासरेषु ॥5

एकेन हस्तेन गदां विभर्ति त्रिशूलमन्येन ऋजुकमेण ।

शक्तिं सदान्येन वरं ददाति चतुर्भुजी मङगलमादधातु ॥6

यो मङगलमादधाति मध्यग्रहो यच्छति वांछितार्थम्।

धर्मार्थकामदिसुखं प्रभुत्वं कलत्र पुत्रैर्न कदा वियोग: ॥7

कनकमयशरीरतेजसा दुर्निरीक्ष्यो हुतवह समकान्तिर्मालवे लब्धजन्मा ।

अवनिजतनमेषु श्रूयते य: पुराणो दिशतु मम विभूतिं भूमिज: सप्रभाव: ॥8॥ 

स्तोत्र का भावार्थ:

  • लाल वस्त्र धारी, लाल देह युक्त, मुकुट पहने हुए, चार भुजा वाले, गदाधारी, भूमि पुत्र, शक्तिवान, त्रिशुल धारण किये हुए, शान्त चित भगवान मंगल मुझे सदैव वरदान दें॥1॥
  • मंगलकारी, भूमिपुत्र, ॠणदोष को हरने वाले, धनप्रदाता, स्थिर चित, विशाल देह वाले, भक्तों के सभी कार्यों को पूर्ण करने वाले, भगवान् मंगल को बारम्बार नमन करता हूं॥2॥
  • रक्तवर्ण, लाल रंग चाहने वाले, संगीत के कलाकारों पर कृपा करने वाले, भूमिपुत्र, वक्र देह वाले, ऐश्वर्य प्रदाता भूमिनन्दन, भगवान मंगल को नमन करता हूं ॥3॥
  • अग्नि के समान तेज युक्त, बलवान, पिनाकधारी भगवान् शंकर के वेग से उत्पन्न, लाल चन्दन तथा शीतल जल से भीगे हुए शरीर वाले, अत्यधिक सिद्धियों को देने वाले भगवान मंगल को प्रणाम॥4॥
  • भूमिपुत्र के नाम से संसार में प्रसिद्ध, भक्तों के दु:खों को हरण करने वाले, पाप जनित कष्टों को दूर करने वाले, भक्तों के ऋण बाधा को दूर करके, ऐश्वर्य देने वाले, जो समस्त शुभ कार्यो से पूजित हैं, ऐसे मंगल देव को प्रणाम करता हूं॥5॥
  • एक हाथ में गदा धारण किये हुए, दूसरे हाथ में त्रिशूल धारण किये हुए, तीसरे हाथ में शक्ति धारी तथा चतुर्थ हाथ से भक्तों को सदैव वरदान देने वाले भगवान् मंगल को नमन करता हूं॥6॥
  • मंगल देव, भक्तों को निरंतर मंगल देने वाले, कामनाओं को देने वाले, धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष प्रदाता, ऐश्वर्य देने वाले तथा पुत्र-पौत्र से कभी भी वियुक्त नहीं करते॥7॥
  • स्वर्णमय देह के प्रकाश के कारण जो कठिनाई से देखे जाते हैं, अग्नि के समान कान्ति वाले, भूमि से उत्पन्न, भूमिपुत्र के नाम से प्रसिद्ध, शक्तिसम्पन्न, भगवान् मंगल ऐश्वर्य प्रदान करें॥8॥

मंगल ग्रह मन्त्र साधना की समाप्ति:

यह साधना ग्यारह दिन की है। साधना के बीच साधना नियम का पालन करें, भय रहित होकर पूर्ण आस्था के साथ ग्यारह दिन मंगल ग्रह मन्त्र जाप करें। नित्य जाप करने से पहले संक्षिप्त पूजन अवश्य करें। साधना के बारे में जानकारी गुप्त रखें। ग्यारह दिन तक मंगल ग्रह मन्त्र का जाप करने के बाद मंत्र का दशांश (10%) या संक्षिप्त हवन करें। हवन के पश्चात् यंत्र को अपने सिर से उल्टा सात बार घुमाकर दक्षिण दिशा में किसी निर्जन स्थान या पीपल के नीचे रख दें। इस तरह से यह साधना पूर्ण मानी जाती है धीरे-धीरे मंगल अपना अनिष्ट प्रभाव देना कम कर देता है, मंगल से संबंधित दोष आपके जीवन से समाप्त हो जाते है।

Mangal Grah Vedic Mantra | मंगल ग्रह वैदिक मंत्र