Kamakala Kali Kavach/कामकला काली कवच
(Kamakala Kali Kavach/कामकला काली कवच)
सीधे हाथ में जल लेकर विनियोग पढ़कर जल भूमि पर छोड़ दे।
अस्य श्री त्रैलोकयमोहन रहस्य कवचस्य।त्रिपुरारि ऋषिःविराट् छन्दःभगवति कामकलाकाली देवता। फ्रेंबीजं – योगिनी शक्तिःक्लीं कीलकं डाकिनि तत्त्वंभ्गावती श्री कामकलाकाली अनुग्रह प्रसाद सिध्यर्ते जपे विनियोगः॥
कवच पाठ
ॐ ऐं श्रीं क्लीं शिरः पातु फ्रें ह्रीं छ्रीं मदनातुरा।
स्त्रीं ह्रूं क्षौं ह्रीं लं ललाटं पातु ख्फ्रें क्रौं करालिनी॥ 1
आं हौं फ्रों क्षूँ मुखं पातु क्लूं ड्रं थ्रौं चन्ण्डनायिका।
हूं त्रैं च्लूं मौः पातु दृशौ प्रीं ध्रीं क्ष्रीं जगदाम्बिका॥ 2
क्रूं ख्रूं घ्रीं च्लीं पातु कर्णौ ज्रं प्लैं रुः सौं सुरेश्वरी।
गं प्रां ध्रीं थ्रीं हनू पातु अं आं इं ईं श्मशानिनी॥ 3
जूं डुं ऐं औं भ्रुवौ पातु कं खं गं घं प्रमाथिनी।
चं छं जं झं पातु नासां टं ठं डं ढं भगाकुला॥ 4
तं थं दं धं पात्वधरमोष्ठं पं फं रतिप्रिया।
बं भं यं रं पातु दन्तान् लं वं शं सं चं कालिका॥ 5
हं क्षं क्षं हं पातु जिह्वां सं शं वं लं रताकुला।
वं यं भं वं चं चिबुकं पातु फं पं महेश्वरी॥ 6
धं दं थं तं पातु कण्ठं ढं डं ठं टं भगप्रिया।
झं जं छं चं पातु कुक्षौ घं गं खं कं महाजटा॥ 7
ह्सौः ह्स्ख्फ्रैं पातु भुजौ क्ष्मूं म्रैं मदनमालिनी।
ङां ञीं णूं रक्षताज्जत्रू नैं मौं रक्तासवोन्मदा ॥ 8
ह्रां ह्रीं ह्रूं पातु कक्षौ में ह्रैं ह्रौं निधुवनप्रिया।
क्लां क्लीं क्लूं पातु हृदयं क्लैं क्लौं मुण्डावतंसिका॥ 9
श्रां श्रीं श्रूं रक्षतु करौ श्रैं श्रौं फेत्कारराविणी।
क्लां क्लीं क्लूं अङ्गुलीः पातु क्लैं क्लौं च नारवाहिनी॥ 10
च्रां च्रीं च्रूं पातु जठरं च्रैं च्रौं संहाररूपिणी।
छ्रां छ्रीं छ्रूं रक्षतान्नाभिं छ्रैं छ्रौं सिद्धकरालिनी॥ 11
स्त्रां स्त्रीं स्त्रूं रक्षतात् पार्श्वौ स्त्रैं स्त्रौं निर्वाणदायिनी।
फ्रां फ्रीं फ्रूं रक्षतात् पृष्ठं फ्रैं फ्रौं ज्ञानप्रकाशिनी॥ 12
क्षां क्षीं क्षूं रक्षतु कटिं क्षैं क्षौं नृमुण्डमालिनी।
ग्लां ग्लीं ग्लूं रक्षतादूरू ग्लैं ग्लौं विजयदायिनी॥ 13
ब्लां ब्लीं ब्लूं जानुनी पातु ब्लैं ब्लौं महिषमर्दिनी।
प्रां प्रीं प्रूं रक्षताज्जङ्घे प्रैं प्रौं मृत्युविनाशिनी॥ 14
थ्रां थ्रीं थ्रूं चरणौ पातु थ्रैं थ्रौं संसारतारिणी।
ॐ फ्रें सिद्ध्विकरालि ह्रीं छ्रीं ह्रं स्त्रीं फ्रें नमः॥ 15
सर्वसन्धिषु सर्वाङ्गं गुह्यकाली सदावतु।
ॐ फ्रें सिद्ध्विं हस्खफ्रें ह्सफ्रें ख्फ्रें करालि ख्फ्रें हस्खफ्रें ह्स्फ्रें फ्रें ॐ स्वाहा॥ 16
रक्षताद् घोरचामुण्डा तु कलेवरं वहक्षमलवरयूं।
अव्यात् सदा भद्रकाली प्राणानेकादशेन्द्रियान् ॥ 17
ह्रीं श्रीं ॐ ख्फ्रें ह्स्ख्फ्रें हक्षम्लब्रयूं
न्क्ष्रीं नज्च्रीं स्त्रीं छ्रीं ख्फ्रें ठ्रीं ध्रीं नमः।
यत्रानुक्त्तस्थलं देहे यावत्तत्र च तिष्ठति॥ 18
उक्तं वाऽप्यथवानुक्तं करालदशनावतु
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं हूं स्त्रीं ध्रीं फ्रें क्षूं क्शौं
क्रौं ग्लूं ख्फ्रें प्रीं ठ्रीं थ्रीं ट्रैं ब्लौं फट् नमः स्वाहा॥ 19
सर्वमापादकेशाग्रं काली कामकलावतु॥ 20
Kamakala Kali Kavach/कामकला काली कवच विशेष:
कामकला काली कवच के साथ-साथ यदि लक्ष्मी नारायण कवच, लक्ष्मी कवच और महालक्ष्मी कवच का पाठ किया जाए तो, कामकला काली कवच का बहुत लाभ मिलता है, मनोवांछित कामना पूर्ण होती है| यह कवच शीघ्र ही फल देने लग जाता है| अपने घर को नकारात्मक ऊर्जा से बचाने के लिए काली फ्रेम को घर में रखना चाहिए और रोज़ पूजा करनी चाहिए| जीवन में सुख-सुविधाए, धन और समृद्धि की पूर्ति के लिए काली लॉकेट धारण करना चाहिए| यदि कोई साधक देवी षोडशी की साधना करने की इच्छा रखते है और षोडशी साधना के बारे में ज्ञान प्राप्त करना चाहते है तो उन्हें षोडशी महाविद्या साधना के बारे में पढना चाहिए|